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शिमला। बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि विभाग के सभी विषय विशेषज्ञ व बागवानी विकास अधिकारी फील्ड में जाकर परियोजना को जमीन पर उतारने के लिए किसानों व बागवानों से सीधा संपर्क स्थापित करें और उन्हें संबंधित क्षेत्रों में पैदा होने वाले पौधों की जानकारी व परामर्श दें। उन्होंने कहा कि परामर्शी एजेंसी के अधिकारी भी फील्ड में जाएं और बागवानों को आवश्यक प्रशिक्षण व परामर्श प्रदान करें। उन्होंने इस संबंध में रिपोर्ट 10 दिनों के भीतर सौंपने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि परामर्शी एजेंसी यदि अपेक्षित परिणाम लाने में असमर्थ रहती है, तो इसके अनुबंध पर पुनः विचार किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि परिणाम ज़मीन पर दिखने चाहिए और परियोजना की पाई-पाई किसानों व बागवानों पर खर्च की जाएगी, इसमें किसी प्रकार की अनियमितता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने 2018-19 के लिए इस परियोजना के तहत लगभग 150 करोड़ रुपये की वार्षिक कार्य योजना को भी स्वीकृति प्रदान की। यह बात आईपीएच और बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने आज यहां प्रदेश के लिए 1134 करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी बागवानी परियोजना में प्रगति को लेकर न्यूजीलैंड व नीदरलैंड की परामर्शी एजेंसी के साथ बैठक के दौरान कही।
हिमाचल प्रदेश की नर्सरियों में 2023 तक 52 लाख सेब के रूट स्टॉक तैयार करने की क्षमता है और इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए अभी से तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। बागवानी मंत्री ने चिंता जाहिर की कि विदेशों से बड़े पैमाने पर रूट स्टॉक मंगवाए गए, जिनमें से लगभग 50 प्रतिशत पहुंचते ही सूख गए। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश की भौगोलिक स्थितियां व जलवायु उन देशों से भिन्न हैं, जहां से इस प्रकार के रूट स्टॉक मंगवाए जाते रहे हैं।
उन्होंने इस बात पर बल दिया कि प्रदेश की नर्सरियों में यहां की जलवायु के अनुकूल रूट स्टॉक तैयार करने की बेहतर संभावना मौजूद है और विभागीय अधिकारियों को इसके लिए लक्ष्य निर्धारित कर आने वाले समय में शत-प्रतिशत पौध यहीं पर तैयार करने के लिए अभी से प्रयास करने होंगे। हालांकि, 2023 तक 13 लाख रूट स्टॉक मौजूदा अधोसंरचना के अनुरूप तैयार होंगे, लेकिन एक सुनियोजित ढंग से ढांचागत सुविधाओं को मजबूत कर इसे लगभग चार गुणा तक बढ़ाने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि रूट स्टॉक के आयात को धीरे-धीरे कम करके राज्य की नर्सरियों की निर्भरता को बढ़ाएंगे।
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