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BOD की बैठक में बोले महेंद्र ठाकुर: हरियाणा, दिल्ली NCR में 450 दुकानों में बेचे जाएंगे HPMC के उत्पाद
Last Updated on December 18, 2020 by Sintu Kumar
शिमला। एचपीएमसी के उत्पादों की बिक्री अब हरियाणा व दिल्ली, एनसीआर (Delhi NCR) में स्थित लगभग 450 दुकानों में की जाएगी। यह बात शुक्रवार को उद्यान, राजस्व, मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर (Mahendra Singh Thakur) ने हिमाचल प्रदेश उद्यान उपज विपणन समिति (एचपीएमसी) के निदेशक मंडल की बैठक (BOD Meeting) की अध्यक्षता करते हुए कही। बैठक में वित्त वर्ष 2018-19 और 2019-20 के वार्षिक लेखों का अनुमोदन किया गया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2019-20 में निगम द्वारा कुल 88.96 करोड़ रुपये का कारोबार किया गया, जिसमें से निगम ने लगभग 2.67 करोड़ रुपये का लाभ अर्जित किया है। इस मौके पर बागवानी मंत्री ने कहा कि निगम द्वारा मंडी मध्यस्थता योजना के अन्तर्गत प्रदेश के बागवानों से 138 मिट्रिक टन आम और 19695 मिट्रिक टन सेब (Apple) की खरीद की गई है। उन्होंने बताया कि नादौन में 553.42 लाख रुपये और घुमारवीं में 435.08 लाख रुपये की लागत से शीत भण्डार एवं सब्जियों की पैकिंग व ग्रेडिंग के लिए पैक हाउस का निर्माण कार्य पूरा कर लिया है।
महेंद्र सिंह ठाकुर ने बताया कि विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित बागवानी विकास परियोजना के अन्तर्गत एचपीएमसी (HPMC) द्वारा 262.55 करोड़ रुपये की लागत से गुम्मा, जरोल टिक्कर, रोहडू, टूटूपानी, भुंतर, ओड्डी एवं पतलीकूहल में पैक हाउस एवं फलों की ग्रेडिंग लाइन की स्थापना एवं उन्नयन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पराला में एक 18 हजार मिट्रिक टन क्षमता का सेब विधायन संयंत्र स्थापित किया जा रहा है, जिसमें एक लाख लीटर फ्रूट वाइन, 50 हजार लीटर सेब का सिरका, सेब के छिलके से पेक्टिन उत्पादन का संयंत्र और पीईटी बॉटलिंग प्लांट भी लगाया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि शत-प्रतिशत सेब के रस का एक हजार मि.ली. की टेट्र पैक पैकिंग में पंतजलि के हरिद्वार स्थित फूड पार्क में बनाने का भी अनुमोदन किया गया। उन्होंने कहा कि एचपीएमसी और मैसर्ज वीटा में एक समझौता किया गया है, जिसके अन्तर्गत एचपीएमसी के उत्पादों की बिक्री मैसर्ज वीटा की हरियाणा व दिल्ली एनसीआर में स्थित लगभग 450 दुकानों में की जाएगी। उन्होंने कहा कि एचपीएमसी की दिल्ली, मुम्बई, कोलकता और चेनई स्थित सम्पत्तियों का बेहतर ढंग से प्रयोग करने के लिए कार्य योजना बनाई जाए ताकि इन सम्पत्तियों से लाभ अर्जित किया जा सके।