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इंदौरा। लेह के कीरू इलाके में इन्फैंट्री के काम्बेट व्हीकल को ट्राले पर लोड करते हुए हादसे में जान गंवाने वाले 27 वर्षीय मेजर दीक्षांत थापा की पार्थिव देह मंगलवार सुबह घर पहुंची। अपने जवान बेटे की पार्थिव देह आंगन में देखकर माता-पिता बेसुध हो गए। दोनों रो-रोकर बेहाल हो गए, परिवार के अन्य सदस्यों ने उन्हें सांत्वना दी। जवान का पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। मेजर दीक्षांत थापा की मां ने बहादुर बेटे को सेल्यूट कर अंतिम विदाई दी।
बता दें कि मेजर थापा ज़िला कांगड़ा के कंदरोड़ी के रहने वाले थे। उनकी माता गृहिणी है, जबकि पिता सेना के मैकेनाइज़ इनफेंट्री से सेवानिवृत्त होकर अब सेना के ही सुरक्षा सेवा कोर (डीएससी) में सेवारत हैं तथा छोटा भाई अध्ययनरत है। कंदरोड़ी में मकान बनाने से पहले पूरा परिवार धर्मशाला के योल कैंट में रहता था। दीक्षांत थापा सेना के मैकेनिकल विंग 6 मैकेनिकल के 140 रेजिमेड में में तैनात थे और 4 साल पहले ही कमीशन पास कर कैप्टन बने थे। दीक्षांत थापा ने चंडीगढ़ ग्रुप आफ कालेजिस (सीजीसी) से बीटेक की थी और पहली बार में ही एसएसबी क्लीयर किया था। लद्दाख के लेह में सिविल ट्रक ने सेना के वाहन को टक्कर मार दी जिसमें मेजर दीक्षांत थापा की जान चली गई।
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