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Governor बंडारू दत्तात्रेय ने जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान की उपलब्धियों को सराहा
Last Updated on March 3, 2020 by Vishal Rana
पालमपुर। राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय (Governor Bandaru Dattatreya) ने कहा कि सीएसआईआर-हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर ने हींग और राज्य के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में उगाए जाने वाले फलों (मोंक फ्रूट्स) को प्रोत्साहन देने के लिए सराहनीय कार्य किया है। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों को राज्य की विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से आगे ले जाने की आवश्यकता है ताकि इनके लाभ व्यापक स्तर पर मिल सकें। राज्यपाल मंगलवार को सीएसआईआर-हिमाचल जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर (Palampur) के एक समारोह में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में संभावित नए क्षेत्रों में केसर की खेती की सफलता न केवल स्थानीय किसानों में समृद्धि लाएगी बल्कि इससे देश में केसर के उत्पादन की घटती स्थिति में भी सुधार होगा।
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दत्तात्रेय ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सेब, बादाम, चैरी, आडू, आम, नींबू प्रजाति और अन्य फलों का बड़े पैमाने पर उत्पादन कर रहा है। इन फलों के साथ-साथ सब्जियों की कटाई के बाद के नुकसानों को रोकना गम्भीर राष्ट्रीय समस्या है। उन्होंने कहा कि इन फलों और सब्जियों पर संस्थान की तकनीक प्रशांसनीय और प्रासंगिक है, क्योंकि इससे फलों व सब्जियों को पोषक गुणवत्ता के साथ लंबे समय तक ताजा रखा जा सकता है। वहीं प्रौद्योगिकी संस्थानए पालमपुर ने औषधीय पौधों की खेती और इन पौधों की दुर्लभ, विलुप्त होने की कगार पर खड़े पौधों को इस स्थिति से बाहर लाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
लाहुल में फूलों की खेती से खुलेंगे आय के द्वार
उन्होंने कहा कि लाहुल-स्पिति जिले के ठंडे रेगिस्तान में लिलियम की खेती की तरह फूलों की खेती को शामिल कर दुर्गम क्षेत्रों में आय के द्वार खुले हैं। इसके परिणामस्वरूप पारम्परिक फसलों पर तीन से पांच गुणा अधिक आय होती है। उन्होंने इस बात पर भी प्रसन्नता व्यक्त की कि यह संस्थान हिमालय क्षेत्र में बांस के संसाधनों के उपयोग के लिए नए उपाए विकसित कर रहा है। इससे विभिन्न औद्योगिक उत्पाद जैसे लकड़ी के बोर्ड, कपड़ा यार्न, सक्रिय लकड़ी का कोयला और अन्य औद्योगिक उत्पाद शामिल हैं। मानव जाति के हित में ऐसी तकनीकों का अच्छा भविष्य है।
बंडारू की उपस्थिति में पांच समझौता ज्ञापनों पर किए हस्ताक्षर
राज्यपाल ने इस अवसर पर बायोरियेक्टर, हाईड्रोपोनिक्स, एयरोपोलिक्स और खाद्य प्रसंस्करण सुविधाओं का जायजा भी लिया। वहीं संस्थान ने इस अवसर पर राज्यपाल की उपस्थिति में स्नातकोत्तर अनुसंधान के लिए आईसीएआर भारतीय गेंहू एवं जौ शोध संस्थान करनाल और सीएसके हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के साथ पांच समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए। उन्होंने 350 केवीए की सौर ऊर्जा सुविधा का शुभारंभ किया और 30 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले 120 कमरों के छात्रावास की आधारशिला रखी। उन्होंने पुल और सड़क नेटवर्क का शुभारंभ भी किया।