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हिमाचल में महंगा हुआ वाहनों का प्रदूषण प्रमाणपत्र बनाना, कितना लगेगा ग्रीन टैक्स पढ़े
हिमाचल प्रदेश में अब गाड़ी का पॉल्यूशन सर्टिफिकेट बनाना महंगा हो गया है। राज्य सरकार ने मोटर व्हीकल नियम 1999 में संशोधन किया है। जिसके बाद अब सर्टिफिकेट बनाना महंगा हो गया है। सरकार ने इसकी अधिसूचना जारी की है। वर्तमान में जहां छह महीने के लिए पॉल्यूशन सर्टिफिकेट बनानी बनाने वाली प्राधिकृत एजेंसियां 60 रुपए पॉल्यून सर्टिफिकेट बनाती है, तो वहीं पेट्रोल, सीएनजी, एलपीजी वाले दो और तीन पहिया वाहनों से अब 80 रुपए के साथ 20 रुपए ग्रीन टैक्स लिया जाएगा। कुल मिलाकर 100 रुपए में इन वाहनों का पॉल्यूशन सर्टिफिकेट बनेगा। इसी तरह पेट्रोल, सीएनजी, एलपीजी वाले चार पहिया वाहनों से कुल 130 रुपए लिए जाएंगे।बीते पंद्रह दिन पहले परिवहन विभाग ने लोगों से आपत्ति और सुझाव मांगे थे।
चार पहिया वाहनों से कुल 130 रुपए लिए जाएंगे
इसी तरह पेट्रोल, सीएनजी, एलपीजी वाले चार पहिया वाहनों से कुल 130 रुपए लिए जाएंगे। इसमें 30 रुपए ग्रीन टैक्स भी शामिल है। डीजल वाहनों की बात करें तो अब इन वाहनों से 150 कुल फीस ली जाएगी। इसमें 40 रुपए ग्रीन टैक्स के होंगे। इस संशोधन को सरकार ने ई-गजट पर प्रकाशित कर दिया है और लागू कर दिया है। वहीं, पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट प्रदान करने वाली एजेंसियों को मोटर व्हीकल नियम 1989 के नियम 115(7) के तहत एजेंसी की अथॉराइजेशन लेने के लिए पहले सिक्योरिटी जमा करवानी पड़ेगी। यह सिक्योरिटी रिफंडेबल होगी। यह सिक्योरिटी डॉयरेक्टर ट्रांसपोर्ट के पास जमा करवानी होगी। शहरी क्षेत्रों में स्थिति प्रदूषण केंद्रों को 15 हजार रुपए और ग्रामीण क्षेत्रों के केंद्रों को 5000 की रुपए की सिक्योरिटी जमा करवानी होगी। जो प्रदूषण केंद्र पहले से ही पंजीकृत हैं, उन्हें अथॉराइजेशन की रिन्युअल के दौरान सिक्योरिटी जमा करवानी होगी।