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Army: धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश एक्स सर्विसमेन लीग का राज्य स्तरीय सम्मेलन के दौरान लीग के अध्यक्ष मेजर विजय सिंह मानकोटिया ने लीग के वार्षिक सम्मेलन के दौरान अपने संबोधन में कहा कि राज्यपाल आचार्य देवव्रत धर्मशास्त्रों के माहिर हैं तो जो उनके सामने बैठे हैं वह अस्त्र-शस्त्र के माहिर हैं। यह संयोग और गर्व का दिन है कि धर्म के विद्वान इन बहादुर सैनिकों और वीर नारियों के बीच उपस्थित हैं।मानकोटिया ने राज्यपाल से हिमाचल प्रदेश के लिए फ़ौज में अतिरिक्त भर्ती कोटे की मांग केंद्र सरकार तक पहुंचाने की गुजारिश।
उन्होंने कहा कि 1971 के बाद से आबादी के हिसाब से भर्ती कोटा तय किया गया, इसका पहाड़ी राज्यों और हिमाचल के युवाओं को नुकसान हो रहा है। फ़ौज प्रदेश के युवाओं के लिए रोजगार का सबसे बड़ा साधन है। बहादुरी में हिमाचली सबसे आगे रहे हैं और उसी बहादुरी की कद्र करते हुए हिमाचल का भर्ती कोटा बढ़ाया जाना चाहिए। मानकोटिया ने कहा कि हिमाचल की रेजिमेंट और कोर ही अलग बनाई जा सकती है। जाहिर है कि राज्यपाल आचार्य देवव्रत इस कार्यक्रम में बतौर मुख्यथिति तथा लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल बलबीर सिंह कार्यक्रम के विशेष अतिथि के रूप में शामिल हैं।
मेजर विजय सिंह मानकोटिया ने कहा कि पूर्व सैनिकों ने अपनी सेवाकाल में दुश्मनों से लड़ाई लड़ी और सेवानिवृति के बाद अपने ही देश की सरकारों से अपने हक की लड़ाई लड़ी। 4 दशक से ओआरओपी के लिए किए गए संघर्ष को पीएम मोदी ने पूरा किया। 2014 के लोकसभा चुनावों से पूर्व रेवाड़ी रैली के दौरान 5 लाख पूर्व सैनिकों ने मोदी से यह मांग रखी थी। तब मोदी ने कहा था कि अगर वह पीएम बनते हैं तो वह सरकार ओआरओपी की मांग पूरी करेंगे। पीएम मोदी ने अपना वादा निभाया। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में मोदी का आभार जताते हुए इसके लिए एक प्रस्ताव पारित किया जाएगा। राज्यपाल के माध्यम से भी केंद्र की मोदी सरकार का आभार व्यक्त किया जाएगा। ओआरओपी का मिलना पूर्व सैनिकों के लिए सबसे बड़ा युद्ध है।
मानकोटिया ने कैप्टन सौरव कालिया की निर्मम हत्या के लिए पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में खड़ा करने की मांग राज्यपाल के माध्यम से की। उन्होंने कहा कि जिस तरह केंद्र सरकार कुलभूषण जाधव के लिए खड़ी हुई और पाकिस्तान को सबक सिखाया उसी तरह कैप्टन सौरव कालिया की शहादत और उनके परिजनों को भी न्याय मिलना चाहिए।
मानकोटिया ने कहा कि सैनिकों ने देश को सम्मान दिलाया लेकिन वीर नारियों की कुर्बानी भी कम नहीं है। पूर्व सैनिकों ने कुर्बानी का मुआवजा नहीं मांगा था सिर्फ हक मांगा और वो मोदी सरकार ने दिया। ओआरओपी ने इन सबको एक नया जीवन दिया है। इतिहास दोबारा नए सिरे से लिखा जाए तो जनरल जोरावर सिंह का नाम स्वर्णाक्षरों से लिखा जाएगा। लेह लद्दाख से तिब्बत से सटे क्षेत्र उन्होंने भारत के कब्जे में लिए। शहीद वजीर राम सिंह पठानिया ने भी अंग्रेजों का डटकर मुकाबला किया और कम उम्र में शहादत पाई। युवा पीढ़ी को इन शहीदों के बारे में बताना जरूरी है और स्कूल कॉलेजों में यह विषय होना चाहिए।
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