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नई दिल्ली। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने कहा है कि उनकी पीएम मोदी के साथ कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। वह नहीं चाहते कि लोग उनकी पृष्ठभूमि पर तरस खाएं। सिंह ने यह बात एक सवाल के जवाब में कही, जिसमें उनसे पूछा गया कि वह अपनी गरीबी की पृष्ठभूमि के बारे में बात क्यों नहीं करते हैं, जिस तरह मोदी हमेशा बचपन में अपने परिवार की मदद के लिए गुजरात के रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने की बात करते हैं। 2004-14 के दौरान संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार की अगुवाई कर चुके मनमोहन सिंह अविभाजित पंजाब के गाह गांव में 1932 में पैदा हुए थे। वह एक गरीब परिवार में पैदा हुए थे। अपने जीवन के शुरुआती 12 साल तक वह गांव में ही रहे, जहां न बिजली थी, न स्कूल था, न अस्पताल था और न ही पाइपलाइन से आपूर्ति किया जाने वाला पानी ही था। सिंह के मीडिया सलाहकार के रूप में 2004 से 2008 तक काम कर चुके संजय बारू के मुताबिक, मनमोहन सिंह स्कूल जाने के लिए रोज मीलों चलते थे और रात में केरोसिन तेल की ढिबरी (बत्ती) की मंद रोशनी में पढ़ाई किया करते थे। एक बार जब उनसे उनकी कमजोर नजर को लेकर पूछा गया था तो उन्होंने कहा था कि वह मंद रोशनी में घंटों किताबें पढ़ा करते थे।
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