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Mata Baglamukhi Temple का सरकारीकरण इसलिए नामुमकिन, जानने के लिए पढ़ें रपट – देखें Video
Last Updated on February 21, 2020 by Deepak
कांगड़ा। देश-विदेश के लोगों की आस्था का केंद्र हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला में स्थित माता बगलामुखी मंदिर ट्रस्ट (Mata Baglamukhi Temple Trust) इन दिनों सुर्खियां में है। बगलामुखी मंदिर ट्रस्ट के बारे में ना तो एसडीएम ना ही डीसी को कोई जानकारी है, ट्रस्ट का पंजीकरण कहां हुआ कोई नहीं जानता। डीसी कांगड़ा राकेश प्रजापति के मुताबिक मंदिर की आय-व्यय का ब्योरा उनके पास नहीं है। एसडीएम देहरा धनवीर ठाकुर का कहना है कि उनके कार्यालय में ट्रस्ट पंजीकृत (Register) नहीं हुआ है। ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि किसी को नहीं पता कि बगलामुखी मंदिर में कितना चढ़ावा रोज चढ़ता है।
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दूसरी तरफ जानकारी ये बता रही है कि माता श्री बगलामुखी देवी ट्रस्ट बनखंडी नाम से 2013 में पंजीकृत हुआ था। महंत देवी गिरी ने इसे पंजीकृत करवाया था। ट्रस्ट की पंजीकृत संख्या 139/ 2013 है। ट्रस्ट में अध्यक्ष महंत रजत गिरी हैं। इसके अलावा ट्रस्टियों में अध्यक्ष की पत्नी नेहा गिरी, कुलप्रकाश भारद्वाज, केडी श्रीधर, मुनीष शर्मा, निशांत महाजन व एडवोकेट अमित राणा शामिल हैं। नियम ये है कि ट्रस्ट का अध्यक्ष हमेशा माता बगलामुखी मंदिर का महंत ही होगा। ट्रस्ट में डाले गए न्यासी कभी निकाले नहीं जा सकेंगे। बगलामुखी मंदिर की जमीन पर ट्रस्ट ने द येलो नाम से एक होटल और रेस्तरां भी बनवाया हुआ है। ट्रस्ट इसे सराय बताता है।
मंदिर का सबसे बड़ा सच ये है कि माता बगलामुखी मंदिर को जूना अखाड़ा भेखगोसाइयां समस्त भारत से जोड़ा गया है, ताकि इसका सरकारीकरण ना हो सके। चूंकि कोई मंदिर,अखाड़े से जुड़ जाएं तो वह अखाड़े की संपत्ति बन जाता है। अखाड़े में चेलागिरी परंपरा होती है, यानी अखाड़े की संपत्ति की गद्दी पर गुरु अपने चेले को ही बिठाता है।