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#Himachal में अपनी मांगों को लेकर गरजे Mid-day Meal वर्कर्स, ज्ञापन सौंप खोला मांगों का पिटारा
Last Updated on October 15, 2020 by Vishal Rana
शिमला/हमीरपुर। हिमाचल प्रदेश में गुरुवार को अपनी मांगों को लेकर मिड डे मील वर्करज़ (Mid day meal workers) ने प्रदेश भर में धरने प्रदर्शन (Protest) किए। यह प्रदर्शन ऑल इंडिया मिड डे मील वर्करज़ फेडरेशन संबंधित सीटू (CITU) के आह्वान पर हिमाचल प्रदेश के 11 जिला मुख्यालयों व ब्लॉक मुख्यालयों में किए गए। इस दौरान शिमला, रामपुर, रोहड़ू, नाहन, सोलन, अर्की, नालागढ़, चंबा, धर्मशाला, हमीरपुर, मंडी, करसोग, सरकाघाट, जोगिंद्रनगर, सराज, कुल्लू, बंजार, आनी, ऊना आदि में सैंकड़ों वर्करज़ ने प्रदर्शन कर प्रदेश सरकार (State Govt) के प्रति अपना रोष व्यक्त किया और प्रारंभिक शिक्षा निदेशक को ज्ञापन भी सौंपे।
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राजधानी शिमला के प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय पर मीड डे मील वर्करज़ ने जबरदस्त प्रदर्शन किया, जिसमें सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा और अन्य लोग शामिल रहे। हिमाचल प्रदेश मिड डे मील वर्करज़ यूनियन प्रदेशाध्यक्ष कांता महंत व महासचिव हिमी देवी ने कहा है कि केंद्र व प्रदेश सरकार लगातार मध्याह्न भोजन कर्मियों का शोषण कर रही है। उन्हें केवल दो हज़ार तीन सौ रुपये मासिक वेतन दिया जा रहा है। उन्हें कोई भी छुट्टी नही दी जाती है। उनके लिए ईपीएफ व मेडिकल सुविधा भी नहीं है। उनसे खाना बनाने के अलावा डाक, चपरासी, सफाई, झाड़ू, राशन ढुलाई, बैंक, जलवाहक आदि सभी प्रकार के कार्य करवाए जाते हैं। ये सभी प्रकार के कार्य मल्टी टास्क हैं, लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें मल्टी टास्क वर्करज़ की भर्तियों में प्राथमिकता नहीं दी जा रही है।
मिड डे मील वर्करज़ को नियमित किए जाने की उठाई मांग
उन्हें वर्ष 2013 के 45वें श्रम सम्मेलन की सिफारिश अनुसार नियमित कर्मचारी (Regular Employee) का दर्जा नहीं दिया जा रहा है। हिमाचल उच्च न्यायालय के निर्णयानुसार उन्हें बारह महीने का वेतन नहीं दिया जा रहा है। उन्हें केवल दस महीने का वेतन दिया जा रहा है। पच्चीस बच्चों से कम संख्या होने पर उन्हें नौकरी से निकाला जा रहा है जिसके कारण हिमाचल प्रदेश में पिछले कुछ वर्षों में छः हज़ार सात सौ चालीस वर्करज़ की छंटनी हो चुकी है व उन्हें नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। इसके चलते उनकी संख्या सत्ताईस हज़ार सात सौ चालीस से गिरकर इक्कीस हज़ार रह गयी है। उन्हें मिलने वाला मात्र दो हज़ार तीन सौ रुपये वेतन भी छः महीनों तक नहीं मिलता है। इस योजना में नब्बे प्रतिशत महिलाएं ही कार्य करती हैं परन्तु उन्हें प्रसूति अवकाश की सुविधा नहीं है।
यह हैं मिड डे मील वर्करज़ की मांगे
45वें श्रम सम्मेलन की सिफारिश अनुसार मिड डे मील कर्मियों को सरकारी कर्मचारी (Government Employee) घोषित किया जाए व उन्हें नियमित किया जाए। उन्हें प्रदेश के न्यूनतम वेतन के आधार पर 8250 रुपये वेतन दिया जाए। उन्हें ईपीएफ, मेडिकल, छुट्टियों आदि की सुविधा दी जाए। उन्हें रिटायरमेंट पर पेंशन व ग्रेच्युटी की सुविधा दी जाए। उन्हें 6 महीने के वेतन सहित प्रसूति अवकाश की सुविधा दी जाए। मल्टी टास्क वर्करज़ के रूप में आंगनबाड़ी सुपरवाइज़र की तर्ज़ उन्हें ही नियुक्त किया जाए। पहाड़ी इलाक़ा होने की वजह से हिमाचल में मिड डे मील के लिए पच्चीस बच्चों की शर्त को हटाया जाए व हर स्कूल में कम से कम दो वर्कर हर हाल में नियुक्त किये जाएं। हिमाचल उच्च न्यायालय के निर्णयानुसार उन्हें बारह महीने का वेतन दिया जाए।
हमीरपुर में मिड डे मील वर्कर्स ने दी उग्र आंदोलन की चेतावनी
हमीरपुर में सीटू राज्य कमेटी के आह्वान पर मिड डे मील वर्कर्स यूनियन जिला हमीरपुर ने अपनी मांगों को लेकर गुरुवार को हमीरपुर गांधी चौक पर धरना प्रदर्शन (Protest) किया। मिड डे मील वर्कर्स यूनियन जिला हमीरपुर का कहना है कि वह स्कूल के अन्य कर्मचारियों की तरह ही पूरा दिन सुबह नौ बजे से लेकर शाम तीन बजे तक स्कूल में रहते हैं, लेकिन इन्हें सरकार की तरफ से निर्धारित न्यूनतम वेतन तक नहीं मिलता। जिसके चलते मिड डे मील कर्मचारियों में सरकार के प्रति व्यापक रोष है। धरना प्रदर्शन के बाद सीटू कार्यकताओं ने एसडीएम हमीरपुर के माध्यम से सीएम जयराम ठाकुर को ज्ञापन भी भेजा। उन्होंने प्रदेश सरकार से धरने के माध्यम से अपनी मांगों और समस्याओं को दूर करने की गुहार लगाई है। ताकि मिड डे मील कर्मी भी सम्मानजनक जीवन जी सकें। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर जल्द उनकी मांगे पूरी नहीं की गईं तो प्रदेश के तमाम मिड डे मील कर्मी लामबंद होकर अपने काम को बंद करके उग्र आंदोलन करेंगे।