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Migratory Birds: पक्षियों का और खासकर प्रवासी पक्षियों की हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका है । प्रवासी पक्षी अपनी लंबी यात्रा से विभिन्न संस्कृतियों और परिवेशों को जोड़ने का काम करते हैं। उन्हें किसी सीमा में नहीं बांधा जा सकता। अपनी लंबी यात्रा में वे पहाड़,समुद्र,रेगिस्तान पार कर एक देश से दूसरे देश तक का सफर करते हैं। प्रवासी पक्षियों का यह संसार अद्भुत है क्योंकि इन सबकी अपनी- अपनी विशेषता है।
अब तक जितने भी पक्षियों के बारे में हमें जानकारी है, उसमें से 19 फीसदी नियमित प्रवास करते हैं। इनके प्रवास का समय और स्थान भी नियमित होते हैं । प्रवासी पक्षी हमारी दुनिया की जैव विविधता का हिस्सा हैं। इसी महत्ता को देखते हुए2006 से प्रवासी पक्षी दिवस मनाने का निर्णय लिया गया। इसके तहत जो सबसे बड़ा मुद्दा था वह उनकी सुरक्षा को लेकर ही था।
इसका दूसरा लक्ष्य था अति गंभीर स्थिति में खत्म होने के कगार पर आ गई प्रजातियों के संरक्षण के लिए था । गौरतलब है कि पक्षी की एक प्रजाति के संकट में पड़ने से कई प्रजातियों को खतरा हो जाता है। चिंता की बात यह थी कि जहां पहले सौ साल में पक्षी की एक प्रजाति तुप्त होती थी वहां अब पिछले 30 सालों में 21 प्रजातियां लुप्त हो चुकी हैं। वैश्विक स्तर पर 192 पक्षी प्रजातियों को अति संकटग्रस्त श्रेणी में रखा गया है। आखिर हालात इतने बेकाबू कैसे हुए ? इसके मुख्यकारण उनके आने की जगहोंका खत्म हो जाना ,शिकार,प्रदूषण,जलवायु परिवर्तनऔर मनुष्यों द्वारा बाधा उत्पन्न करना आदि हैं।
अगर ये पक्षी अपने जीवन संरक्षण के लिए हजारों किलोमीटर की यात्रा करते हैं तो उनके पर्यवास की भी सुविधा होनी चाहिए ताकि कोई उनका शिकार न कर सके। इसलिए झीलें या जहां भी छोटे-बड़े नम क्षेत्र हों हमें उनके प्राकृतिक स्वरूप से छेड़छाड़ नहीं करना चाहिए। हमारे यहां पौंग बांध की वजह से हर साल हजारों प्रवासी पक्षियों का आगमन होता है।
ये यहां इस लिए भी आते हैं क्योंकि यहां मछली का बहुत बड़ा स्रोत है। यहां हर साल चीन,साइबेरिया,आस्ट्रेलिया नाइजीरिया ,अफ्रीका और मंगोलिया से पक्षी आते हैं। पूरे विश्व के आधे कलहंसतो यहां होते हैं। दुःखद यह है कि पौंग झील पर आने वाले प्रवासी पक्षियों का शिकार करने से लोग बाज नहीं आ रहे हैं। अगर हम इन पक्षियों की सुरक्षा नहीं कर सकते तो पक्षी आधारित पर्यटन तो बहुत दूर की बात है। अब चाहे वह बिलासपुर की गोविंद सागर झील हो और चाहे पौंग के महाराणाप्रताप सागर की झील हो सुरक्षा ही प्राथमिकता है।
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