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सोलन। यह मेरा सपना है कि एक भारतीय एथलीट ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीत सके, जिसे वह रोम में जीतते-जीतते खो बैठे थे। फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह ने सोमवार को शूलिनी यूनिवर्सिटी के छात्रों के साथ बातचीत में ये बात कही। बता दें कि मिल्खा सिंह भारत के सबसे महान एथलीटों में से एक हैं, जिन्होंने भारत के लिए खेला है।
उन्होंने एशियाई खेलों में चार स्वर्ण पदक जीते हैं और 1958 के कार्डिफ एम्पायर गेम्स में आयोजित कॉमनवेल्थ खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले वे पहले भारतीय थे। प्रोफेसर पीके खोसला, वाइस चांसलर, शूलिनी यूनिवर्सिटी और अतुल खोसला, प्रो-वाइस चांसलर और संस्थापक, शूलिनी यूनिवर्सिटी ने कैम्पस में उनका स्वागत किया।
खेलों की दुनिया के महान खिलाड़ी अपनी जिंदगी पर बनी फिल्म ‘भाग मिल्खा भाग का एक क्लिप देखते हुए वे काफी भावुक हो गए और अपनी जिंदगी के संघर्ष को याद करने लगे। मिल्खा सिंह ने अपने बचपन के संघर्ष को याद करते हुए अपने जीवन की कहानी सांझा की और बताया कि 1960 में पाकिस्तान में आयोजित प्रसिद्ध खेल आयोजन में अपना अनुभव सांझा किया, जहां उन्होंने अपने पाकिस्तानी समकालीन अब्दुल खालिक को हराया।
मिल्खा सिंह ने कहा कि कोई फर्क नहीं पड़ता कि हमारा पीएम कौन बनता है, कोई भी देश से गरीबी को पूरी तरह से हटा नहीं सकता है। हमें आम लोगों की गरीबी दूर करने और देश के विकास में अपना योगदान देने की आवश्यकता है। उन्होंने छात्रों को कड़ी मेहनत करने के लिए प्रोत्साहित किया और जोर दिया कि कड़ी मेहनत क्षमता से भी अधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि युवा राष्ट्र का भविष्य है और उन्हें राष्ट्र को गौरवान्वित करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए। मिल्खा सिंह ने एक इनडोर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स का उद्घाटन किया, जिसे उनके नाम मिल्खा सिंह स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स पर रखा गया है।
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