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एचके पंडित/नाहन। यकीन मानिए, यह कोई आम शिवलिंग (Shivling) नहीं है। यहां शिवलिंग का आकार हर साल एक से दो इंच तक बढ़ जाता है। यदि ऐसा भी कहा जाए कि यहां चमत्कारी शिवलिंग है, तो इसमें भी कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। नाहन (Nahan) शहर से पांच किलोमीटर दूर पांवटा साहिब-कालाअंब नेशनल हाईवे-7 पर आमवाला के पौड़ीवाला में मान्यताओं के अनुसार कुछ ऐसा ही यहां भोलेनाथ का चमत्कारी शिवलिंग है।
यूं तो साल भर यहां भक्तों का आवागमन होता है, लेकिन महाशिवरात्रि (Mahashivaratri) पर यहां भक्तों का तांता लगता है। इस मंदिर का इतिहास पांवटा-कालाअंब नेशनल हाईवे के किनारे मंदिर (Temple) को जाने वाले रास्ते पर लगे बोर्ड पर भी दर्शाया गया है, ताकि यहां आने वाले लोगों को इसकी ऐतिहासिकता का पता चल सके।
जनश्रुति के अनुसार पौड़ीवाला शिव मंदिर का इतिहास लंकापति रावण के साथ जोड़ा जाता है। कहा जाता है कि रावण ने अमरता प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। कहते हैं ये कहानी उस समय की है, जब श्रीराम अयोध्या के राजा बनने वाले थे। उसी दौरान रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए यहां शिवलिंग की स्थापना की। रावण की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर शिव शंकर भगवान प्रकट हुए और रावण से वरदान मांगने को कहा। रावण ने अमरता का वरदान मांगा तो भगवान शिव ने उसे अमर होने की तरकीब बताई। ये तरकीब आसान नहीं थी। भगवान शिव ने कहा था कि रावण को एक ही दिन में पांच चमत्कारी सीढ़ियां बनानी होंगी। इसके बाद उसे अमरता और स्वर्ग में जाने का रास्ता मिल जाएगा।
रावण ने अमरता पाने के लिए अपना काम शुरू कर दिया। रावण ने पहली पौड़ी हरिद्वार में हर की पौड़ी, दूसरी पौड़ी यहां पौड़ीवाला में, तीसरी पौड़ी चूड़ेश्वर महादेव और चौथी पौड़ी किन्नर कैलाश में बनाई। मगर इसके बाद रावण इतना थक गया कि उसे नींद आ गई। जब वह जागा तो अगली सुबह हो गई थी। ऐसे में उसे अमरता नहीं मिल पाई। पौड़ीवाला स्थित इस जगह में आज भी दूसरी पौड़ी विद्यमान है। साथ ही वह बावड़ी भी है जहां से रावण पानी भरता था। कहते हैं कि पौड़ीवाला स्थित इस शिव मंदिर में साक्षात शिव शंकर भगवान वास करते हैं और यहां आने वाले हर श्रद्धालु की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं। यहां हर साल शिवरात्रि पर मेला भी लगता है जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं।
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