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नई दिल्ली। देश में जारी कोरोना संकट (Corona Crisis) के बीच केंद्र की मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का प्रथम वर्ष पूर्ण होने के बाद पहली कैबिनेट बैठक (Cabinet Meeting) का आयोजन किया गया है। पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में कई अहम् फैसले लिए गए। केंद्रीय कैबिनेट की बैठक के बाद केंद्र सरकार की प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई, जिसमें कैबिनेट बैठक के दौरान लिए गए अहम् फैसलों के बारे में जानकारी दी गई।
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रकाश जावड़ेकर केंद्रीय मंत्री ने बताया कि MSME’s के लिए 50,000 करोड़ की इक्विटी का प्रस्ताव पहली बार आया है। MSME की परिभाषा को और संशोधित किया गया है। संकट में फंसे MSME को मदद दी जाएगी। MSME को 20 हजार करोड़ लोन के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है, जिससे नौकरी के बढ़ेंगे अवसर। कैबिनेट के फैसले से करोड़ों किसानों को लाभ होगा। उन्होंने आगे कहा कि शहरी और आवास मंत्रालय ने विशेष सूक्ष्म ऋण योजना शुरू की है। ये रेहड़ी-पटरी वालों की मदद के लिए योजना है। इस योजना से 50 लाख लोगों को लाभ मिलेगा। केंद्रीय मंत्री जावड़ेकर ने आगे कहा कि शायद आजाद भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के रेहड़ी-पटरी वालों को लोन देने के लिए कोई योजना लाई गई है।
उन्होंने आगे बताया कि सरकान ने किसानों के लिए बड़े फैसले किए हैं। न्यूनतम समर्थन मूल्य उसकी कुल लागत का डेढ़ गुना ज्यादा रखने का वादा सरकार पूरा कर रही है। 14 फसलों पर किसानों को लागत से 50 फीसदी से 83 फीसदी ज्यादा कीमत मिलेगी। खेती और उस जुड़े काम के लिए 3 लाख तक के अल्पकालिक कर्ज के भुगतान की तिथि 31 अगस्त 2020 तक बढ़ाई गई है। वायरस के संकट, लॉकडाउन के समय भी पीएम मोदी की प्राथमिकता में गरीब और किसान रहे। किसानों ने इस बार बंपर पैदावार करके देश को समर्पित किया है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा कि प्रतिकूल समय में भी बंपर उत्पादन हुआ है। मक्का में 52 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। गांव, किसान, गरीब को लेकर सरकार काम कर रही है। 93 लाख मिट्रिक टन धान अब तक खरीदा गया है।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि देश में 6 करोड़ MSME हैं। MSME से देश में 11 करोड़ से ज्यादा नौकरी मिली है। 25 लाख MSME के पुर्नगठन की उम्मीद है। छोटे सेक्टर में टर्नओवर सीमा 50 करोड़ किया है। गडकरी ने कहा कि MSME अभी कठिन दौर से गुजर रहा है। 2 लाख MSME नए फंड से शुरू किए जाएंगे। कमजोर उद्योगों को उभारने के लिए 4 हजार करोड़ के फंड को मंजूरी मिली है।
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