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मोदी सरकार ने दी नई Education Policy को मंजूरी: HRD मिनिस्ट्री का नाम भी बदला
Last Updated on July 29, 2020 by Deepak
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक नई शिक्षा नीति (New Education Policy) को भी मंजूरी दे दी है। इसके अलावा कैबिनेट बैठक के दौरान मानव संसाधन विकास मंत्रालय (Ministry of Human Resource Development) का नाम बदलने को भी मंजूरी दी गई। अब इसे शिक्षा मंत्रालय (Ministry of Education) के नाम से जाना जाएगा। इन दोनों ही फैसलों के बारे में विस्तृत जानकारी सरकार की ओर से शाम 4 बजे होने वाली कैबिनेट ब्रीफिंग में दी जाएगी। मानव संसाधन विकास मंत्रालय की तरफ यह प्रस्ताव रखा गया था कि मंत्रालय का मौजूदा नाम बदल कर शिक्षा मंत्रालय कर दिया जाए। अब इस प्रस्ताव कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है।
Cabinet Briefing by Union Ministers @PrakashJavdekar and @DrRPNishank
⏰: 4 PM
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अब पूरे उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिए एक ही रेगुलेटरी बॉडी होगी
वहीं, नई शिक्षा नीति को मंजूरी दिए जाने के मसले पर बात करें तो अब पूरे उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिए एक ही रेगुलेटरी बॉडी होगी ताकि शिक्षा क्षेत्र में अव्यवस्था को खत्म किया जा सके। शिक्षा मंत्रालय ने उच्च शिक्षा के लिए एक ही रेगुलेटरी बॉडी ‘नेशनल हायर एजुकेशन रेगुलेटरी अथॉरिटी (एनएचईआरए) या हायर एजुकेशन कमिशन ऑफ इंडिया’ तय किया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति ने पिछले वर्ष मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को नई शिक्षा नीति का मसौदा सौंपा था। इस दौरान ही निशंक ने मंत्रालय का कार्यभार संभाला था। नई शिक्षा नीति के मसौदे को विभिन्न पक्षकारों की राय के लिए सार्वजनिक किया गया था और मंत्रालय को इस पर दो लाख से अधिक सुझाव प्राप्त हुए।
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देश की शिक्षा व्यवस्था में एकरूपता लाना सरकार का मकसद
नई शिक्षा नीति में गैर हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी अनिवार्य किए जाने का उल्लेख नहीं है। तमिलनाडु में द्रमुक और अन्य दलों ने नई शिक्षा नीति के मसौदे में त्रिभाषा फॉर्मूले का विरोध किया था और आरोप लगाया था कि यह हिंदी भाषा थोपने जैसा है। सरकार ने कहा था कि भाषा को लेकर सभी राज्यों की चिंताओं और सुझावों पर विचार किया जाएगा। नई शिक्षा नीति के संशोधित मसौदे में कहा गया था कि जो छात्र पढ़ाई जाने वाली तीन भाषाओं में से एक या अधिक भाषा बदलना चाहते हैं, वे ग्रेड 6 या ग्रेड 7 में ऐसा कर सकते हैं, जब वे तीन भाषाओं में माध्यमिक स्कूल के दौरान बोर्ड परीक्षा में अपनी दक्षता प्रदर्शित कर पाते हैं। इससे पहले के मसौदे में समिति ने गैर हिंदी प्रदेशों में हिंदी की शिक्षा को अनिवार्य बनाने का सुझाव दिया था। सरकार का मकसद देश की शिक्षा व्यवस्था में एकरूपता लाना है। इसमें शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर बनाने, बहु भाषायी अध्ययन, 21वीं शताब्दी की स्किल, खेल, कला, पर्यावरण आदि मुद्दों पर फोकस किया जाएगा।