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वीरेंद्र भारद्वाज/मंडी। आधुनिकता के इस दौर में हर कोई सुख-सुविधा के साथ जिंदगी जीना चाहता है। जरा सोचिए कि अगर आपको छह महीने बिना किसी सुख-सुविधा के वीरान जंगलों के बीच बिताने पड़ें तो। शायद आप इस बात के लिए कभी तैयार नहीं होंगे। लेकिन मंडी जिला के कुछ पशुपालक छह महीने विकट परिस्थितियों में गुजारकर आत्मनिर्भरता की अनूठी मिसाल पेश करते हैं। ये हैं शख्स है मोहम्मद इसराईल। मूलतः मंडी जिला के द्रंग विधानसभा क्षेत्र की घ्राण पंचायत के रहने वाले मोहम्मद इसराईल भैंस पालन का काम करते हैं। गर्मियों के मौसम में जब इनके गांव में चारे की कमी होने लग जाती है तो यह अपने दर्जनों पशुओं के साथ अपने घर से कोसों दूर पराशर की वादियों का रूख कर लेते हैं। यहां इनकी जिंदगी कटती है पत्थर, मिट्टी और लकड़ी से बनाए डेरों में। मोहम्मद इसराईल बताते हैं कि उन्हें 6 महीनों तक अपने परिवार से दूर रहना पड़ता है और जंगल के बीच रहने पर हर वक्त खतरा भी बना रहता है। कई बार जंगली जानवर पशुओं को नुकसान पहुंचाते हैं लेकिन कभी किसी इंसान के साथ ऐसी घटना नहीं हुई है। मोहम्मद इसराईल और इसी तरह से यहां रहने वाले अन्य पशुपालक रोजाना दूध उत्पादन करते हैं और उसका दही, पनीर, खोया, मक्खन और घी बनाकर अपना रोजगार चलाते हैं। दूध से बने उत्पादों को बेचने के लिए मंडी शहर भेजा जाता है। हालांकि पराशर की तरफ घूमने के लिए आने वाले पर्यटक बड़ी संख्या में खुद ही यहां से इन उत्पादों को खरीद कर ले जाते हैं लेकिन इस बार लॉक डाउन के कारण पर्यटक नहीं आ रहे, जिस कारण इन्हें थोड़ा नुकसान झेलना पड़ रहा है।
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