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शिमला। राजधानी में इन दिनों भारी संख्या में बंदरों के मरने की खबरें आ रही हैं। बैनमोर, जाखू, संजौली और छोटा शिमला आदि इलाकों में सैकड़ो बंदरों (Monkeys) की मौत हो चुकी है। कई बंदर जंगल में मरे पड़े हैं तो कई रिहायशी इलाकों में घरों की छतों और कालोनियों के बीच मरे मिले हैं। एकसाथ इतने सारे बंदरों के मरने से इलाके में हड़कंप है। ज्यादातर बड़े बंदरों को जहर देकर मारा जा रहा है। अब इसे लेकर लोगों ने भी आवाज उठानी शुरू कर दी है।
इस मामले में सीएम हेल्पलाइन सेवा (CM Helpline Service) पर शिकायत की गई है। लोगों का कहना है कि बैनमोर में दो महीने में करीब 100 बंदर मर चुके हैं। नगर निगम के माध्यम से इन्हें उठवाया जा रहा है ताकि बीमारियां न फैलें। जाखू में भी कई बंदर मरे मिले हैं। हालांकि केंद्र सरकार ने राजधानी में बंदरों को मारने की छूट दे रखी है। बंदरों को वर्मिन श्रेणी में रखा है। वन विभाग के अनुसार अप्रैल 2020 तक बंदरों को मारने पर छूट है, लेकिन अब तक एक भी बंदर शहर में नहीं मारा गया था। अब अचानक बंदरों के मरने का सिलसिला शुरू हो गया है।
छह महीने में सैकड़ों बंदर मर चुके हैं। वन्य जीव विभाग का कहना है कि शहर में जहरीला पदार्थ (poisonous substance) खाने से ज्यादातर बंदर मर रहे हैं। वर्मिन घोषित होने के कारण कुछ लोग इन्हें खाने-पीने की चीजों में जहर देकर मार रहे हैं। विभाग के डीएफओ राजेश शर्मा ने बताया कि सैंपल मेरठ भेजे हैं। इसकी रिपोर्ट आने के बाद ही बंदरों की मौत के असली कारणों का पता चल सकेगा।
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