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शिमला। राजधानी के उत्पाती बंदरों को अब शिमला से दूर किया जाएगा। इनके लिए साइंटिफिक फैंसिंग कर तैयार किए जान वाले सेंटर में रखा जाएगा। इन बंदरों के लिए यह सेंटर शिमला के समीप तारादेवी जंगल में स्थापित किया जाएगा। इसके लिए वहां वैज्ञानिक तरीके से फैंसिंग की जाएगी। फैंसिंग ऐसी होगी कि जो बंदर अंदर होगा, वह बाहर नहीं निकल पाएगा।
केंद्रीय जू प्राधिकरण (सीजैडए) ने राज्य सरकार के इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है और अब राज्य सरकार इस दिशा में आगे कदम बढ़ाएगी। बताते हैं कि दिल्ली में भी दिल्ली में भी बंदरों के लिए ऐसे ही साइंटिफक फैंसिंग कर बंदरों को रखा गया है। उसी तर्ज पर यहां पर भी उत्पादी बंदरों को शहर से दूर तारादेवी में रखा जाएगा। वहां पर 10 हैक्टेयर जमीन पर मंकी लाइफ केयर सेंटर स्थापित किया जाएगा। इसमें एक हजार बंदरों को रखा जाएगा।
इन बंदरों के खाने-पीने का सारा प्रबंध उसी में किया जाएगा। तारादेवी में जहां इन बंदरों के लिए सेंटर स्थापित किया जाएगा, उसकी साइंटिफिक तरीके से फैंसिंग की जाएगी। वहां जंगल की चारों तरफ से फैंसिंग की जाएगी। इस प्रोजेक्ट पर राज्य सरकार करीब एक करोड़ रूपए खर्च करेगी। सेंटर के बनने पर यहां पर शिमला से उन सभी स्थानों से उन बंदरों को पकड़ा जाएगा, जो लोगों को परेशान करते हैं और उत्पात मचाते हैं। वन विभाग के मुताबिक शिमला में करीब 35सौ बंदर हैं और इनमें से केवल उन्हीं बंदरों को उठाया जाएगा, जो लोगों को तंग करते हैं। उधर, प्रधान सचिव (वन) तरूण कपूर ने कहा कि शिमला के समीप टूटीकंडी-तारादेवी में बंदरों के लिए एक सेंटर स्थापित किया जा रहा है। केंद्रीय जू प्राधिकरण ने मंजूरी दे दी है। यहां पर साइंटिफिक तरीके से फैंसिंग की जाएगी। इस सेंटर में बंदरों को जंगल जैसा ही माहौल होगा और वे वहां से बाहर नहीं निकल पाएंगे। इससे लोगों को कुछ राहत जरूर मिलेगी।
पहले भी तारादेवी में बना था प्राइमेट पार्क
पूर्व बीजेपी सरकार के कार्यकाल के दौरान तारादेवी में ही बंदरों के लिए प्राइमेट पार्क बनाया गया था। इस पार्क में शिमला से बंदरों को पकड़ कर वहां रखा गया था, लेकिन कुछ दिन बाद ही वहां से बंदर निकल गए थे और वे आस-पास के लोगों को खेतों और घरों की तरफ पहुंच गए थे। इससे वहां के लोग भी काफी नाराज हो गए थे। इसके बाद वन विभाग ने वन्य प्राणी विंग के माध्यम से बंदरों को भगाने के लिए विशेष प्रकार का यंत्र भी आजमाया था। इसे प्रायोगिक तौर पर सीटीओ के पास लगाया गया था, लेकिन इससे भी बंदर नहीं भागे थे।
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