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शिमला। अंतरराष्ट्रीय समर फेस्टिवल शिमला (Shimla Summer festival) में प्रदेश के लोकल कलाकारों (Local Artist) को ज्यादा से ज्यादा मौका मिलना चाहिए। यह मांग शिमला नागरिक सभा ने जिला प्रशासन से की है। शिमला नागरिक सभा के अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने कहा कि यह ग्रीष्मोत्सव केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं है, बल्कि हिमाचल की संस्कृति के संरक्षण व उसके विस्तार की भी एक अटूट कड़ी है। संस्कृति का यह संरक्षण व विस्तार तभी संभव है जब ज्यादा से ज्यादा हिमाचली पहाड़ी कलाकारों को इस महोत्सव में मौका मिले।
विजेंद्र मेहरा ने कहा कि पिछले लंबे समय से समर फेस्टिवल (Summer festival) का स्वरूप बदल गया है। इसमें स्थानीय कलाकारों के बजाए बाहरी राज्यों के कलाकारों को ज्यादा महत्व दिया जा रहा है और पहाड़ी कलाकारों को दरकिनार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिला शिमला (Shimla) प्रशासन को कुछ ऐसे कदम उठाने चाहिए, जिससे स्थानीय कलाकारों को समर फेस्टिवल (Summer festival) जैसे सभी महोत्सवों में ज्यादा से ज्यादा मौका मिले। विजेंद्र मेहरा ने कहा कि प्रशासन की पहाड़ी कलाकारों के प्रति उदासीनता से इन महोत्सवों का मूल उद्देश्य समाप्त हो जाता है व यह महोत्सव केवल औपचारिकता बन कर रह जाते हैं। इस तरह इन महोत्सवों को करवाने का कोई औचित्य नहीं रह जाता है। इसलिए जरूरी है कि समर फेस्टिवल में ज्यादा से ज्यादा स्थानीय कलाकारों को मौका दिया जाए।
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