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शिमला। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कार्यक्रम के लिए प्रदेश के अधिकतर सेवानिवृत्त डॉक्टर काबिल नहीं हैं। इसका कारण यह है कि सेवानिवृत्त हुए अधिकतर डॉक्टरों के पास न तो पब्लिक हेल्थ में अतिरिक्त शैक्षणिक योग्यता है और न ही वह आधुनिक एवं नवीनतम चिकित्सक तकनीक की जानकारी रखते हैं। जी हां! यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि सरकार का कहना है। आज बजट सत्र के दौरान कुल्लू के विधायक महेश्वर सिंह के पूछे लिखित प्रश्न के उत्तर में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने कुछ यह ही जानकारी सदन में दी है। कुल्लू के विधायक महेश्वर सिंह ने लिखित प्रश्न पूछ यह जानना चाहा था कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत प्रदेश में कार्यरत डॉक्टर ही नियुक्त किए जाते हैं, जिससे मरीजों की देखभाल में बाधा उत्पन्न होती है। यदि हां तो क्या सरकार इस कार्य के लिए सेवानिवृत्त डॉक्टरों को नियुक्त करने का विचार रखती है और यदि हां तो कब तक, यदि नहीं तो क्यों। महेश्वर सिंह के पूछे प्रश्न की जानकारी में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के विभिन्न कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के लिए राज्य मुख्यालय में 8 डॉक्टरों को तैनात किया गया है, जोकि अतिरिक्त, उच्च शैक्षणिक योग्यता रखते हैं तथा इनकी तैनाती से मरीजों की देखभाल में किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न नहीं हो रही है।
वहीं, उन्होंने जानकारी दी कि प्रदेश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कार्यक्रम मरीजों को बिना किसी बाधा के सुचारू रूप से चलाए जा रहे हैं तथा यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि मरीजों की देखभाल में किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न न हो। इसलिए सेवानिवृत्त डॉक्टरों को नियुक्त करने की आवश्यकता नहीं है। इसके अतिरिक्त अधिकतर सेवानिवृत्त डॉक्टर न तो पब्लिक हेल्थ में अतिरिक्त शैक्षणिक योग्यता रखते हैं और न ही वह आधुनिक एवं नवीनतम चिकित्सक तकनीक की जानकारी रखते हैं जो कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के विभिन्न कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के लिए आवश्यक है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कार्यक्रमों की अनुपालना से आम जनता के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कार्यक्रम में बहुत सुधार हुआ है ।
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