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पालमपुर। प्रदेश के पूर्व सीएम और कांगड़ा-चंबा के लोकसभा सांसद शांता कुमार ने कहा है कि हिमाचल सरकार ने एक कानून बनाकर सरकारी भूमि पर लगभग 40 हजार अवैध कब्जों और कुछ भवनों को नियमित करने का निर्णय किया है। राज्यपाल ने इस संबंध में सरकार को पूछा है कि जिन अधिकारियों के कारण अवैध कब्जे हुए उनके विरूद्ध सरकार ने क्या कार्रवाई की है। शांता कुमार ने कहा है कि यह सारा मामला अति गंभीर है, जिन हजारों लोगों ने सरकारी भूमि पर कब्जे किए, बागीचे लगाए और भवन बनाए वे सब प्रभावशाली और संपन्न लोग हैं।
उन्होंने सरकारी अधिकारियों से मिलीभगत कर के भ्रष्टाचार द्वारा सरकारी संपत्ति पर अधिकार किया और कानून की धज्जियां उड़ाई। उन्होंने कहा कि प्रदेश में लगभग 69 लाख जनसंख्या है। कुछ हजार लोगों ने भ्रष्टाचार किया और कानून तोड़ा उन्हें तो इस बात के लिए इनाम दिया जा रहा है।
लाखों वे लोग जिन्होंने कानून में रहते हुए सब कुछ किया। उन्हें इसी बात की सजा मिल रही है कि उन्होंने कानून नहीं तोड़ा और इस प्रकार संपत्ति नहीं बनाई। शांता कुमार ने कहा कि इस संबंध में उन्होंने बहुत सोचा। प्रदेश की सरकार ने इतना बड़ा निर्णय प्रदेश का हित सोचकर ही लिया होगा, परन्तु उन्हें किसी भी दृष्टि से यह निर्णय प्रदेश और देश के हित में नहीं लग रहा है। नियम और कानून निभाने के लिए होते हैं, तोड़ने के लिए नहीं। नियम तोड़ने वाले सरकार की भूमि पर कब्जा करने वालों और भ्रष्टाचार करने वालों कोई नाम दिया जा रहा है और यह काम प्रदेश की सरकार और प्रदेश की पूरी राजनीति कर रही है। उन्होंने कहा कि यह बात उन्हें किसी भी दृष्टि से उचित नहीं लग रही है। शांता कुमार ने राज्यपाल को इस बात की बधाई दी है कि उन्होंने इस संबंध में अपनी पूरी सहमति नहीं दी है। उन्होंने सरकार और सभी राजनीतिक दलों से यह अपील की है कि इस निर्णय पर दोबारा विचार करें। यदि इस कानून को लागू कर दिया गया तो जनता को यही संदेश जाएगा कि प्रभावशाली लोग जो चाहे कर सकते हैं। सरकार कानून का राज्य नहीं चलाती प्रभावशाली लोगों के दबाव में शासन चलता है।
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