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मुकेश के शरारत भरे लफ्ज, CM Jai Ram ने अढ़ाई साल अपनी कुर्सी बचाने में निकाले
Last Updated on June 27, 2020 by Vishal Rana
शिमला। नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री (Leader of Opposition Mukesh Agnihotri) ने कहा कि प्रदेश में लोकतांत्रिक व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से मामले बनाए जा रहे हैं और सीएम जयराम ठाकुर (CM Jai Ram Thakur) ने ये अढ़ाई साल सिर्फ़ अपनी कुर्सी को बचाने में ही निकाल दिए हैं। इस दौरान अफसरशाही पूरी तरह हावी है, जनता के हितों को दरकिनार करके फैसले लिए जा रहे हैं। विकास की काल्पनिक उड़ानें जिनका धरातल से कोई सरोकार नहीं है ऐसे सब्जबाग जनता को दिखाने की कोशिश जयराम सरकार ने की है। अढ़ाई साल से प्रदेश में विकास का पहिया पूरी तरह थम चुका है। कांग्रेस सरकार ने जो विकासात्मक कार्य अपने कार्यकाल में शुरू किये थे उनके अतिरिक्त ज्यादातर विकास के कार्य ठप पड़े हुए हैं। अढ़ाई साल में इस सरकार ने कोई भी ऐसा नया काम नहीं किया है जिसका यह श्रेय ले सके।
सरकार अढ़ाई साल में ब्रेक डाउन
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मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि इस आधे सफर में घोटालों (Scams) का बहुत बड़ा सेहरा इस सरकार के सिर पर बंध गया है। सत्ता के दलाल हर तरफ मंडरा रहे हैं। उन्होंने दलील दी की प्रदेश सरकार सत्ता में आने से पहले राज्य में राष्ट्रीय राजमार्गों का जाल बिछाने के दावे करते हुए 65 हजार करोड़ रुपये खर्च करने की दुहाई देती थी, लेकिन अब अढ़ाई साल में एक इंच भी नेशनल हाइवेज यह सरकार नहीं बना पाई है। रेल लाइनें, हवाई पट्टियां व कोई भी मामला सिरे नहीं चढ़ा है जबकि यह सरकार डबल इंजन की सरकार की दुहाई देती फिर रही है। यह सरकार अढ़ाई साल में ब्रेक डाउन की तरफ बढ़ रही है। यह सरकार ना तो केंद्र से कोई आर्थिक पैकेज हासिल कर पाई और न ही कोई औद्योगिक पैकेज इन्हें हासिल हुआ है। आज प्रदेश में बहुत से औद्योगिक घराने अपनी औद्योगिक ईकाइयां बंद कर चुके हैं और कुछ बंद करने की तैयारी में हैं जिससे आने वाले समय में प्रदेश में और बेरोजगारी (Unemployment) बढ़ेगी।
प्रदेश विकास के पथ से भटक गया
जयराम सरकार के अढ़ाई साल के विफलता भरे कार्यकाल में प्रदेश विकास के पथ से भटक गया है। सरकार के पास उपलब्धियां शून्य है और इस सरकार द्वारा प्रदेश को बर्बादी की तरफ धकेला जा रहा है। प्रदेश सरकार ने इस दौरान केवल कर्जों का भारी-भरकम रिकॉर्ड कायम किया है और प्रदेश को बेचने के रास्ते खोलने की कोशिशें भी बड़े पैमाने पर की जा रही है। चुनाव के दौरान किए गए वादों को रद्दी की टोकरी में डाल दिया गया है। इस वैश्विक महामारी के समय यह सरकार कितनी संवदेनशील है इस बात का पता यहीं से चलता है कि सरकार द्वारा राशन, बिजली जैसी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए पूर्व की कांग्रेस सरकार द्वारा चलाई गई योजनाओं के उपदान में भारी कटौती कर जनता पर आर्थिक बोझ (Economic burden) डाला गया है।
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