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Mukesh बोले, विधायक निधि रोक कर विधायकों के अधिकारों पर कुठाराघात कर रही जयराम सरकार
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अग्निहोत्री ने कहा कि सरकार बताए कि अन्य किन राज्यों में विधायक निधि बंद की है। उन्होंने कहा कि विधायक संवैधानिक संस्था का हिस्सा हैं। जब सरकार प्रदेश में चयरमैनों की बड़ी फौज खड़ी कर रही है और रोजाना नई नियुक्तियां हो रही हैं तो विधायकों की निधि काटना कहां तक सही है? उन्होंने कहा कि सरकार ने तो विधायकों को पहले से आवंटित किस्त भी वापस ले ली है यह कहां तक न्यायोचित है?
मुकेश ने कहा कि सरकार ने प्रदेश में कई पंचायतों का गठन अपनी राजनीतिक सुविधा के मुताबिक कर दिया और नई पंचायतों पर करोड़ों खर्च दिए तो सरकार किस मुंह से विधायकों की निधि रोक सकती है? उन्होंने कहा कि सरकार का हर फैसला तर्कसंगत होना चाहिए । उन्होंने दलील दी कि सरकार (Government) नए नगर निगम व नगर पंचायतें जब बना रही है तो विधायक निधि में कटौती को कैसे सही ठहराती है? उन्होंने कहा कि पिछले दिनों कांग्रेस व भाजपा के कई विधायक इस सिलसिले में इकट्ठे हुए थे, लेकिन सरकार ने भाजपा विधायकों को जवाब तलब कर लिया। उन्होंने कहा कि नए संस्थानों को मंत्रिमंडल की बैठक में मंजूरी मिल रही है, वह भी अफसरशाही के हित में । नए पद सृजित कर कोष पर बोझ डाला जा रहा है । सरकार लगातार खुले दिल से कर्जे लेकर राजनीतिक हसरतें पूरी कर रही है, तो क्या कोविड काल में एक साथ कटौती सिर्फ विधायक निधि की ही बनती है? जबकि यह पैसा विधायकों को नहीं मिलता, बल्कि गांव के विकास के छोटे-छोटे कामों के लिए खर्चा जाता है। सीएम ने इस पर रोक लगाते हुए यह कहा था कि जल्द ही इस पर पुनर्विचार कर जारी कर देंगे, तो क्या सरकार ने पुनर्विचार किया?
उन्होंने कहा कि कोविड काल में हमारे विधायकों ने तत्परता से काम किया, लेकिन विधायक निधि के अभाव में भूमिका निभाने में दिक्कत आ रही है और इससे अफसरशाही को ही बढ़ावा मिला है। हाल ही में अफसरशाही ने विधायकों के पुरानी मंजूरियों को डाईवर्ट करने के अधिकार पर भी रोक लगा दी है, इसका भी विरोध किया जाएगा।
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