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Haryana: अब जनता के हाथों में होगा मेयर का चुनावी भाग्य; कैबिनेट ने लिया बड़ा फैसला
Last Updated on August 14, 2020 by Deepak
चंडीगढ़। हरियाणा सरकार (Haryana Govt) की कैबिनेट ने एक बड़ा फैसला लेते हुए नगर निगम के मेयर व नगर परिषद और पालिका अध्यक्षों के चुनाव (Election) सीधे ही करवाने का फैसला किया है। प्रदेश सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले से शहरी निकायों में अब पार्षदों की खरीद-फरोख्त समाप्त होगी। अब नगर निगम में अब मेयर का चुनाव सीधे जनता करेगी। इसी तरह जनता के नगर परिषद व नगरपालिका के प्रधान या अध्यक्ष चुनाव प्रत्यक्ष मतदान के जरिये होगा। मेयर या अध्यक्ष के चुनाव में पार्षदों की कोई भूमिका नहीं रहेगी। इससे अध्यक्ष बनने वालों के लिए पार्षदों की खरीद फरोख्त भी बंद हो जाएगी तथा जनता अपनी पसंद का मेयर या अध्यक्ष चुन सकेगी।
2019 में नगर निगमों के चुनाव डायरेक्ट हुए थे, लेकिन संशोधन बाकी था
तमाम अटकलों के बाद गुरुवार को हरियाणा कैबिनेट (Haryana Cabinet) की बैठक में इसे स्वीकृति दे दी गई है, जबकि शहरी स्थानीय निकाय मंत्री अनिल विज ने सीधे चुनाव की बजाए इनके चयन की पहले जैसी व्यवस्था ही रहने की वकालत की थी। इसके सीधे चुनाव के बाद इनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का खतरा भी नहीं रहेगा। इस संदर्भ में हरियाणा नगर पालिका अधिनियम की जिन धाराओं में जो संशोधन की जरूरत है, उसे अध्यादेश लाकर किया जाएगा। 2019 में नगर निगमों के चुनाव डायरेक्ट हुए थे, लेकिन तब कानून में एक संशोधन करना रह गया था। अब तय किया गया है कि पहले से मेयर, अध्यक्ष या पार्षद चुने गए किसी भी व्यक्ति के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकेगा। सीएम मनोहर लाल ने मंत्रिमंडल के इस फैसले की जानकारी बैठक के बाद दी।
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सरपंच चुनाव में महिलाओं की होगी 50 फीसदी भागेदारी
सरपंच के चुनाव में हरियाणा सरकार पिछड़ी जाति के बीसीए ग्रुप को आठ प्रतिशत आरक्षण देगी। प्रदेश में बीसीए और बीसीबी पिछड़ी जाति के दो ग्रुप है। बीसीबी ग्रुप की प्रदेश में काफी संख्या है। लिहाजा ये आरक्षण बीसीए ग्रुप की जातियों को दिया जाना है। उधर, पंचायतों के चुनाव में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान पहले से है। जबकि पिछली बार हरियाणा के पंचायती चुनाव में 42 फीसदी महिलाएं चुनी गई। मगर इस बार 50 प्रतिशत भागीदारी रहेगी। आधी आबादी की आधी हिस्सेदारी पंचायत चुनाव में रहेगी। इसका प्रारूप अभी तय किया जाना है। मगर इसे अभी ‘भागीदारी’ का नाम दिया गया है, रिजर्वेशन का नहीं। बिल लाने की तैयारी है। कैबिनेट में इस संदर्भ में चर्चा की गई।