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यूं तो मिस्र में 138 पिरामिड हैं लेकिन सिर्फ गीजा का ग्रेट पिरामिड ही प्राचीन विश्व के सात अजूबों की सूची में है। दुनिया के सात प्राचीन आश्चर्यों में शेष यही एकमात्र ऐसा स्मारक है जिसे काल प्रवाह भी खत्म नहीं कर सका। ग्रेट पिरामिड को इतनी परिशुद्धता से बनाया गया है कि वर्तमान तकनीक ऐसी कृति को दोहरा नहीं सकती। कुछ साल पहले तक वैज्ञानिक इसकी सूक्ष्म सिमट्रीज का पता नहीं लगा पाये थे, मिस्र के पिरामिडों का रहस्य जानने के लिए नवीनतम टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जा रहा है। मिस्र के गीजा के पिरामिड पर किए जा रहे एक थर्मल स्कैन प्रोजेक्ट में रहस्यमयी हीट स्पॉट्स नजर आए हैं।
इस प्रोजेक्ट में पिरामिड के इन्फ्रारेड थर्मल को स्कैन किया गया। सूर्योदय व सूर्यास्त के समय जब तापमान में बदलाव आता है तो उस समय इन स्कैनर्स के जरिए ये स्पष्ट नजर आए। वैज्ञानिकों का मानना है कि इन पिरामिडों में खासतौर पर सब से बड़े खुफू पिरामिड में और कब्रें व गलियारे मौजूद हैं, जिन के बारे में अभी दुनिया के लोग नहीं जानते। मिस्र में कुछ समय से पिरामिडों पर चल रहे शोध में वैज्ञानिकों को बड़ी जानकारी हाथ लगी है। वैज्ञानिकों और मिस्र सरकार के अधिकारियों का दावा है कि तूतनखामन की ममी के नीचे और भी कमरे हैं।
आर्कियोलॉजिस्ट निकोलस रीव्स के अनुसार तूतनखामन की ममी को एक बाहरी चैंबर में रखा गया है, जिस के नीचे और कमरे या गलियारे हो सकते हैं, जिन में सामान व ममीज भी हो सकती हैं। 1922 में तूतनखामन की ममी को खोजा गया था। ब्रिटिश पुरातत्त्ववेत्ता हॉवर्ड कार्टर ने फराओ (राजा) की इस ममी को ढूंढ़ा था। ममी ने ताबीज पहन रखा था और पूरा चेहरा सोने से बने मास्क से ढका हुआ था। कार्टर और उन की टीम ने फराओ के चेहरे से मास्क भी उतारा था। कहा जाता है कि अब तक केवल 50 लोगों ने तूतनखामन के चेहरे को देखा है।
इस ममी को एक ताबूत में रखा गया था और जब इस प्राचीन शासक के शरीर को इस से बाहर निकाला गया तो उस का चेहरा झुर्रीदार और काला था।हालांकि बाद में वापस मास्क लगा दिया गया था। उनकी कब्र से सोने और हाथी दांत की बनी ढेरों कीमती चीजें मिली थीं। नवीन शोधों से एक नवीन संभावना उभर कर आई है कि शायद एलियंस इन पिरामिड्स का उपयोग गैस स्टेशंस के तौर पर इस्तेमाल करते थे। इन पिरामिडों के ऊपरी हिस्से समतल हैं संभवतः जहां स्पेस शिप आकर उतरते थे।
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