- Advertisement -
शिमला। नागरिक सभा शिमला ने बिजली, पानी, कूड़े के बिलों व प्रॉपर्टी टैक्स (Property Tax) को कोरोना महामारी के मध्य नजर पूर्ण तौर पर माफ करने की मांग उठाई है। नागरिक सभा ने आज नगर निगम कार्यालय शिमला(Shimla) के बाहर प्रदर्शन (Protest) किया। प्रदर्शन के बाद नागरिक सभा का प्रतिनिधिमंडल संयुक्त आयुक्त से मिला व उन्हें ज्ञापन सौंपा। नागरिक सभा ने चेताया गए कि अगर एक सप्ताह के भीतर बिलों में राहत ना दी गई तो नागरिक सभा बड़े आंदोलन की ओर बढ़ेगी।नागरिक सभा के अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व सचिव कपिल शर्मा ने कहा है कि हिमाचल सरकार ने कोरोना (Corona) काल में आर्थिक तौर पर बुरी तरह से प्रभावित हुई जनता को कोई भी आर्थिक सहायता नहीं दी है। प्रदेश में कोरोना के कारण सत्तर प्रतिशत लोग पूर्ण अथवा आंशिक रूप से अपना रोजगार गवां चुके हैं।
मुख्यमंत्री राहत कोष अथवा पीएम केयर फंड से जनता को कोई भी आर्थिक मदद नहीं मिली है। शिमला शहर में होटल (Hotel) व रेस्तरां उद्योग पूरी तरह ठप हो गया है। इसके कारण इस उद्योग में सीधे रूप से कार्यरत लगभग पांच हजार मजदूरों की नौकरी चली गई है। पर्यटन का कार्य बिल्कुल खत्म हो गया है। इसके चलते शिमला शहर में हजारों टैक्सी चालकों, कुलियों, गाइडों, टूअर एंड ट्रैवल संचालकों आदि का रोज़गार खत्म हो गया है। विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि ऐसी विकट परिस्थिति में प्रदेश सरकार, नगर निगम (MC) व बिजली बोर्ड से जनता को आर्थिक मदद की जरूरत व उम्मीद थी लेकिन इन सभी ने जनता से किनारा कर लिया है। नगर निगम के हाउस ने भी जनता की इस हालत से मुंह मोड़ लिया।
जनता को हज़ारों रुपए के बिजली व पानी के बिल थमा दिए गए हैं। हर माह जारी होने वाले बिलों को चार महीने बाद जारी किया गया है व इन बिलों को जमा करने के लिए नाममात्र समय दिया गया है। चार महीने के बिलों से मीटर रीडिंग रेट कई गुणा ज़्यादा बढ़ गया है। अगर हर महीने बिल जारी होते तो चार महीने के इकट्ठे बिल के मुकाबले उपभोक्ताओं (Consumers) का आधा भी बिल नहीं आता। कूड़े के बिल भी हजारों में थमाए गए हैं। भवन मालिकों को हजारों रुपये के प्रॉपर्टी टैक्स के बिल भी थमा दिए गए हैं। ऐसी परिस्थिति में नगर निगम शिमला, बिजली बोर्ड (Electricity Board) व प्रदेश सरकार को मार्च से जून के बिल पूरी तरह माफ कर देने चाहिए व जनता को राहत प्रदान करनी चाहिए।
- Advertisement -