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‘हाथी’ से बगावत कर Congress में गए नसीमुद्दीन सिद्दीकी को बड़ा झटका; विधान परिषद की सदस्यता गई
Last Updated on July 21, 2020 by Deepak
लखनऊ। बसपा सुप्रीमो मायावती के खास रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी (Nasimuddin Siddiqui) विधान परिषद की सदस्यता से अयोग्य घोषित किया गया। बसपा (BSP) की ओर से दाखिल याचिका पर विधान परिषद सभापति ने उन्हें अयोग्य घोषित किया है। कभी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के शीर्ष नेताओं में शामिल रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने साल 2018 में पार्टी छोड़ दी थी। नसीमुद्दीन सिद्दीकी बसपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे। जिसके बाद अब उन्हें विधान परिषद की सदस्यता गंवानी पड़ी है। 23 जनवरी 2015 को सिद्दीकी BSP के टिकट पर विधान परिषद सदस्य निर्वाचित हुए थे। नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने बसपा छोड़ राष्ट्रीय बहुजन मोर्चा बनाया था, जिसके आधार पर दलबदल कानून के तहत सदस्यता अयोग्य घोषित करने के लिए याचिका दी गई थी।
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बसपा ने बदल दी थी नसीमुद्दीन की किस्मत, यहां जानें
बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर विधान परिषद अध्यक्ष के निर्णय की जानकारी दी है। मिश्र की ओर से जारी की गई विज्ञप्ति के मुताबिक नसीमुद्दीन को 22 फरवरी 2018 की तिथि से ही अयोग्य ठहराया गया है। नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने 22 फरवरी 2018 को औपचारिक रूप से कांग्रेस (Congress) की सदस्यता ले ली थी। नसीमुद्दीन ने 1988 में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। उन्होंने बांदा नगर निगम के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। इसके बाद उसी साल वो बसपा में शामिल हो गए। 1991 में उन्होंने बसपा के टिकट पर विधायकी का चुनाव लड़ा और उन्हें सफलता हाथ लगी। 1991 में नसीमुद्दीन बसपा के पहले मुस्लिम विधायक बने। हालांकि दो साल बाद 1993 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। लेकिन, जब 1995 में मायावती ने पहली बार मुख्यमंत्री का पद संभाला तो नसीमुद्दीन को कैबिनेट मंत्री बनाया गया। इसके बाद 1997 में भी मायावती के छोटे से कार्यकाल में वो मंत्री रहे। 2002 में भी एक साल के लिए वो कैबिनेट का हिस्सा रहे और फिर 2007 से 2012 में भी उन्होंने मंत्री पद संभाला।