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सबसे पहले तो हमें मताधिकार दिवस के मायने ही देखने होंगे। हर 25 जनवरी को मताधिकार दिवस मनाया जाता है। यह हमें यह बताता है कि हम अपनी शक्ति को पहचानें। इस प्रक्रिया में निर्वाचन आयोग के स्थापना दिवस को ही मतदाता दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की गई। इसके पीछे एक और भी लक्ष्य था कि नए मतदाता बनाए जाएं ताकि भारतीय लोकतंत्र की गुणवत्ता बढ़ सके। इसके साथ यह भी कि मतदाताओं के मतदान प्रक्रिया में वे बराबर की भागीदारी कैसे कर सकते हैं इसकी भी उन्हें जानकारी देना है और यह भी समझाना है कि वे देश की स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव कराने की परंपरा को बरकरार रखेंगे तथा किसी भी तरह धर्म, नस्ल, जाति, भाषा और जाति से प्रभावित हुए बिना निर्भीक होकर मतदान करेंगे। ज्यादातर देश की जनता इस बात के प्रति जागरूक नहीं है कि उसके मताधिकार का महत्व क्या है। हमें खुद समझना होगा कि हमारा एक वोट भी कीमती है।
मतदान हमने भले ही 18 या 21 वर्ष की उम्र में किया हो पर यह हमें प्राइमरी स्कूल से ही पढ़ाया गया है कि मताधिकार हर नागरिक का अधिकार है। एक अच्छे लोकतंत्र में मतदाताओं को मतदान करना ही चाहिए। चुनाव लोकतांत्रिक शासन का आधार है। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव व्यवस्था लोकतंत्र को स्थायित्व और परिपक्वता प्रदान करती है। अब तो सुप्रीम कोर्ट ने राइट टू रिजेक्ट का अधिकार यानी कि सभी उम्मीदवारों को खारिज करने का अधिकार भी दे दिया है। अगर मतदाता को उम्मीदवारों में से कोई भी नहीं पसंद आता है तो वह अपने इस अधिकार का प्रयोग कर सकता है। हालांकि यह प्रक्रिया अभी बहुत कारगर नहीं हो पाई है पर अस्तित्व में तो है ही। मतदाता इस पर जागरूक ही नहीं हो पाए और जो जानते थे उन्होंने इसलिए खामोश रहना उचित समझा कि इससे चुनाव परिणाम पर कोई खास असर तो पड़ने वाला नहीं है।और उनका यह प्रयास भी गोपनीय नहीं रह पाएगा। लिहाजा इस तरह की सोच रखने वाले मतदान केंद्र से दूर ही रहे और यही वजह थी कि मतदान का प्रतिशत घटता चला गया।
कायदे से मतदान अनिवार्य होना चाहिए। दुनिया के 32 देशों ने अपने यहां मतदान अनिवार्य कर दिया है इनमें से कुछ देशों ने यह व्यवस्था कर रखी है कि जिस नागरिक के पास मतदान का सबूत होगा उसे ही सरकारी सुविधाओं और सब्सिडी का लाभ मिलेगा। चुनाव के दौरान भ्रष्ट तरीकों से निजात पाने के लिए चुनाव आयोग के अधिकार बढ़ा दिए गए हैं और अब यह अधिक सक्षम है। देश में अनिवार्य मतदान लोकतंत्र में नई जान फूंक सकता है। अगर यह व्यवस्था भारत में लागू हो गई तो इसकी बात ही कुछ और होगी। जितने मतदाता भारत में हैं उतने किसी देश में नहीं हैं और अगर आप मतदान नहीं करते तो यह लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाने जैसी बात है, क्योंकि जिस दिन भारत के 90 प्रतिशत से भी अधिक मतदाता वोट डालने लगेंगे उसी दिन भ्रष्ट तरीके का सारा परिदृश्य बदल जाएगा।
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