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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में मंगलवार यानी आज से से रोजाना अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में सुनवाई शुरू हो गई है। मध्यस्थता को लेकर नियुक्त की गई समिति के किसी भी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद (Ayodhya dispute) में 6 अगस्त से रोज सुनवाई करने का आदेश दिया था। आज से ही प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi) की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान बेंच ने मामले की सुनवाई शुरू कर दी है। सुनवाई के दौरान अदालत ने सबसे पहले राम मंदिर मामले के लाइव प्रसारण की मांग को खारिज कर दिया।
मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि हमारे सामने वहां के स्ट्रक्चर पर स्थिति को साफ करें। चीफ जस्टिस ने पूछा कि वहां पर एंट्री कहां से होती है? सीता रसोई से या फिर हनुमान द्वार से? वहीं CJI ने पूछा कि निर्मोही अखाड़ा कैसे रजिस्टर किया हुआ? जस्टिस नज़ीर ने निर्मोही अखाड़े से पूछा कि आप बहस में सबसे पहले अपनी बात रख रहे हैं, आपको हमें इसकी पूरी जानकारी देनी चाहिए। चीफ जस्टिस ने कहा कि वह इस मामले की सुनवाई में जल्दबाजी में नहीं है।
निर्मोही अखाड़े की तरफ से सुशील जैन ने आंतरिक कोर्ट यार्ड पर मालिकाना हक का दावा किया। उन्होंने कहा कि सैकड़ों वर्षों से इस जमीन और मन्दिर पर अखाड़े का ही अधिकार और कब्ज़ा रहा है, इस अखाड़े के रजिस्ट्रेशन से भी पहले से ही है। सदियों पुराने रामलला की सेवा पूजा और मन्दिर प्रबंधन के अधिकार को छीन लिया गया है। निर्मोही अखाड़े (Nirmohi Akhada) की तरफ से अदालत को बताया गया कि 1961 में वक्फ बोर्ड ने इस पर दावा ठोका था। लेकिन हम ही वहां पर सदियों से पूजा करते आ रहे हैं, हमारे पुजारी ही प्रबंधन को संभाल रहे थे। निर्मोही अखाड़े के वकील ने मस्जिद से पहले किसी तरह के ढांचे का कोई सबूत नहीं होने की बात पर कहा कि अगर उन्होंने इसे ढहा दिया तो इसका मतलब ये नहीं है कि वहां पर कोई निर्माण नहीं था। चीफ जस्टिस ने इसके बाद कहा कि इसी मुद्दे के लिए ट्रायल होता है, आपको हमें सबूत दिखाना पड़ेगा।
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