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नीलम रत्न शनि गृह का प्रतिनिधि रत्न है, यह एक प्रभावशाली रत्न है। कहते हैं कि यदि नीलम किसी भी व्यक्ति को रास आ जाए तो वारे-न्यारे कर देता है। नीलम शनि ग्रह का रत्न है इसलिए शनि से संबंधित सभी विशेषताएं इसमें विद्यमान होती हैं, वैदिक ज्योतिष के अनुसार शनि का संबंध श्रम और मेहनत से होता है, ऐसा कहना बिलकुल गलत होगा की शनि किसी जातक को बैठे बिठाए शोहरत दे देता है बल्कि जो जातक आलसी होता है उसे शनि का रत्न नीलम कभी भी रास नहीं आता। यह रत्न तो मेहनती जातकों के लिए है जो अपनी मेहनत और लगन से कामयाबी हासिल करते हैं। केवल 5 से 10 प्रतिशत जातकों को ही नीलम रत्न रास आता है।
यदि आप नीलम धारण करना चाहते हैं तो 3 से 6 कैरेट के नीलम रत्न को स्वर्ण या पांच धातु की अंगूठी में लगवाएं और किसी शुक्ल पक्ष के प्रथम शनिवार को सूर्य उदय के पश्चात अंगूठी को सबसे पहले गंगा जल, दूध, केसर और शहद के घोल में 15 से 20 मिनट रखें, फिर नहाने के पश्चात किसी भी मंदिर में शनि देव के नाम 5 अगरबत्ती जलाएं, अब अंगूठी को घोल से निकाल कर गंगा जल से धो लें, अंगूठी को धोने के पश्चात उसे 11 बार ऊं शं शानिश्चराय नम: का जाप करते हुए अगरबत्ती के उपर से घुमाएं, तत्पश्चात अंगूठी को शिव के चरणों में रख दे और प्रार्थना करें “हे शनि देव में आपका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आपका प्रतिनिधि रत्न धारण कर रहा हूं मुझे अपना आशीर्वाद प्रदान करें”। फिर अंगूठी को शिव जी के चरणों के स्पर्श कराएं और मध्यमा उंगली में धारण करें।
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