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सुरेश रंजन/ नेरवा। दफ्तर में भी ओवरलोडिंग और बसों में भी ओवरलोडिंग। जी हां, यह हाल है नेरवा बस डिपो का। सबसे ज्यादा कमाई करने वाले डिपो की हालत अगर आप देखेंगे तो आप हैरान रह जाएंगे। हैरानी इस बात की है कि इस बस अड्डे के उद्घाटन एक नहीं दो बार हुआ है। लेकिन हालत आज भी ज्यों की त्यों बनी है। एक माह पूर्व नेरवा की तीन बसों में हिमाचल पथ परिवहन निगम बस डिपो नेरवा भी लिख दिया गया था, लेकिन जिन बसों पर ये सब लिखा उनकी हालत ऐसी थी कि वे बीच रास्ते में ही हॉफ जाती थीं।
अब हाल यह है कि नेरवा बस डिपो में खुले आसमान के नीचे काम कर रहा है। डिपो में अभी तक मात्र एक किराए का कमरा है। जबकि कर्मचारी है 40। किराये पर जो कमरा लिया गया है. उसमें अड्डा इचार्ज व उनका चार आदमी का स्टाफ बैठता है। चालक व परिचालक इदर उधर भटकने के बाद स्थानीय होटल में शरण ले लेते हैं। उधर, बस की बुंकिग का कार्य खुले आसमान के नीचे चलाया जा रहा है। नेरवा में में कोई वर्कशॉप तक है। यदि कोई बस खराब हो जाती है तो उसका सामान तारादेवी( शिमला) से आता है।
170 से ज्यादा रूट और बसें मात्र 56, बारिश आई तो खोल दो छाते
नेरवा डिपो में 170 से ज्यादा रूट हैं, लेकिन बसें मात्र 56 है, जिनकी हालत भी सही नहीं है। इन बसों में जरा सी बारिश होते ही सारा पानी बस के अंदर आ जाता है। हाल यह है कि अभी तक नेरवा डिपो तारादेवी शिमला की बसों से चलाया जा रहा है। कुछ बसें जो कि 10 लाख से ज्यादा चल चुकी हैं, उन्हें नेरवा डिपो को दे दी गई हैं। ये बसें कभी भी बडे़ हादसे को अंजाम दे सकती हैं। नेरवा में अधिक बसें न होने के कारण एक बस को एक दिन में लगभग चार रूटों पर भागना पड़ रहा है, जिससे बस को रिपेयर करने के लिए भी समय नहीं मिल पाता। आरएम नेरवा देवेन्द्र नांरग ने कहा कि नेरवा डिपो में अभी भी न टायर पैंचर बनाने की मशीन, वेलडिंग, गाड़ी वॉशर जैसी मशीनें तक नहीं हैं। इन सभी कामों के लिए हमें प्राइवेट वर्कशॉप में जाना पड़ रहा है।
इन सब चीजों की रिक्वायरमेंट सरकार को भेज दी है, जोकि जल्द ही हमें मिल जाएगी। आरएम ने कहा कि सभी हिमाचल के सभी बस डिपो में से सबसे ज्यादा की आय नेरवा बस डिपो से आ रही है, जिसमें हर रोज 2 लाख 30 हजार रुपए कैश जमा हो रहा है।
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