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#Corona ने ली असली वॉरियर आरिफ की जान, सैकड़ों मरीजों को पहुंचाया था Hospital
नई दिल्ली। कोरोना वायरस ने देश में अब तक लाखों लोगों को अपनी चपेट में ले लिया है और हजारों की जान ले ली है। ऐसे समय में कोरोना वॉरियर्स (Corona warriors) पिछले 7 महीने से अपनी जान जोखिम में डाल कर दूसरों की हर संभव मदद करने में लगे हैं। कई लोग ऐसे हैं, जो अपने घर परिवार से दूर रहकर जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं। ऐसे ही एक शख्स थे दिल्ली के सीलमपुर इलाके में रहने वाले आरिफ खान। एम्बुलेंस ड्राइवर आरिफ (Ambulance driver Arif Khan) ने अपनी जान जोखिम में डालकर 200 से ज्यादा मरीजों को समय पर अस्पताल पहुंचाया और 100 से अधिक शवों को अंत्येष्टि के लिए श्मशान पहुंचाया। लेकिन अब कोरोना महामारी ने इस जिंदादिल वॉरियर की जान ले ली। कोरोना वायरस से संक्रमित आरिफ खान का निधन हो गया । उनका उपचार हिंदूराव अस्पताल में चल रहा था।
कोविड महामारी के विरुद्ध अभियान के समर्पित योद्धा दिल्ली के श्री आरिफ खान की मृत्यु के समाचार से दुखी हूं। महामारी के दिनों में अपनी एम्बुलेंस से आपने मृतकों की सम्मानपूर्वक अंत्येष्टि में सहायता की। ऐसे समर्पित नागरिक की मृत्यु समाज के लिए क्षति है। https://t.co/FlGaY80NhO
— Vice President of India (@VPIndia) October 11, 2020
आरिफ के निधन पर उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू (M. Venkaiah Naidu) ने शोक व्यक्त किया है। आरिफ खान पिछले 25 साल से शहीद भगत सिंह सेवा दल के साथ जुड़े थे। वह फ्री में एम्बुलेंस की सेवा मुहैया कराने का काम करते थे। 21 मार्च से आरिफ खान कोरोना के मरीजों को उनके घर से अस्पताल और आइसोलेशन सेंटर तक ले जाने का काम कर रहे थे। शहीद भगत सिंह सेवा दल के संस्थापक जितेंद्र सिंह शंटी ने आरिफ को जिंदादिल शख्सियत बताया और कहा कि मुस्लिम होकर भी आरिफ ने अपने हाथों से 100 से अधिक हिंदुओं के शव का अंतिम संस्कार किया।
कोरोना वायरस महामारी के दौर में कोरोना वॉरियर्स एम्बुलेंस ड्राइवर आरिफ ने अपनी जान जोखिम में डालकर 200 से ज्यादा मरीजों को समय पर अस्पताल पहुंचाया और 100 से अधिक शवों को अंत्येष्टि के लिए श्मशान पहुंचाया. कोरोना वायरस से संक्रमित आरिफ खान का शनिवार की सुबह निधन हो गया। pic.twitter.com/R7gk685pcQ
— Birendra Kumar Yadav (@BirendraYdvSP) October 11, 2020
जब आरिफ की मौत हुई, उनके अंतिम संस्कार के लिए परिवार के लोग पास नहीं थे। उनके परिवार ने आरिफ का शव काफी दूर से कुछ मिनट के लिए ही देखा। उनका अंतिम संस्कार खुद शहीद भगत सिंह सेवा दल के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह शंटी ने किया। शंटी ने कहा कि आरिफ 24 घंटे कोरोना संक्रमितों के लिए उपलब्ध रहते थे। रात 2 बजे कोरोना के मरीजों को घर से ले जाकर अस्पताल में भर्ती कराया। इनमें से कुछ की मौत के बाद उन्हें अंतिम संस्कार के लिए भी लेकर गए थे। अगर किसी कोरोना मरीज की मौत के बाद परिजनों को आर्थिक मदद की भी दरकार होती थी, आरिफ उनकी मदद करते थे। आरिफ की तबीयत 3 अक्टूबर को खराब हुई थी तब भी वह कोरोना संक्रमित को लेकर अस्पताल जा रहे थे। आरिफ ने तबीयत बिगड़ने पर कोरोना टेस्ट कराया तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई। परिजनों के मुताबिक जिस दिन उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, उसी दिन उनका निधन हो गया। आरिफ परिवार में कमाने वाले इकलौते सदस्य थे। जितेंद्र सिंह शंटी ने आरिफ को असली कोरोना वॉरियर बताते हुए सरकार से एक करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता देने की मांग की है।