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कुंडली में मजबूत एवं दुष्ट ग्रहों को शांत करने के लिए ऐसे करें दान-पुण्य
Last Updated on February 28, 2020 by Deepak
जीवन में कई बार ग्रह हमारे पक्ष में नहीं होते और बनते काम भी बिगड़ने लगते हैं। ग्रहों की अनुकूलता पाने के लिए उनसे संबंधी मंत्रों का जाप, उपवास, नित्य विशिष्ट पूजा के अलावा दान करना भी एक उपाय माना जाता है। वराह पुराण के अनुसार सभी दानों में अन्न व जल का दान सर्वश्रेष्ठ है। दान देने के मुख्यतः दो नियम हैं जिनका हमें दान देते समय ध्यान रखना चाहिए – प्रथम – श्रद्धा तथा द्वितीय – पात्रता। श्रद्धा से तात्पर्य है कि हमारा कितना मन है अर्थात हमारी कितनी क्षमता है। क्षमता से कम या अधिक दिया गया दान दान नहीं अपितु पाप कहलाता है। इसको हम एक उदाहरण से भली भांति समझ सकते हैं, यदि किसी जातक की क्षमता पचास रुपये दान करने की है तो उसे पचास रुपये ही दान करने चाहिए।
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पचास के स्थान पर दस रुपये अथवा सौ रुपये दान करना दान नहीं अपितु पाप है। दान कार्य शुद्ध तथा प्रसन्न मन से किया जाना चाहिए। बिना श्रद्धा के मुसीबत अथवा बोझ समझ कर दान कभी भी नहीं करना चाहिए, इससे तो अच्छा है कि दान कार्य किया ही न जाये। किसी को अहसान जताकर कभी भी दान नहीं देना चाहिए।
शुद्ध हृदय से दान देने से अपने हृदय को भी शांति मिलती है तथा दान लेने वाला भी खुश होकर मन से दुआ देता है, यह जरूरी नहीं कि उस दुआ की शब्दों के द्वारा ही अभिव्यक्ति हो। जन्म कुण्डली में कुछ ग्रहों को मजबूत एवं दुष्ट ग्रहों को शांत करने के लिए तो हम दान-पुण्य करते ही हैं, लेकिन ग्रहों की कैसी स्थिति में हमें कैसा दान नहीं करना चाहिए, यह भी जानने योग्य बात है।
- सूर्य ग्रह : सूर्य मेष राशि में होने पर उच्च तथा सिंह राशि में होने पर अपनी स्वराशि का होता है। यदि किसी जातक की कुण्डली में सूर्य इन्हीं दो राशियों में से किसी एक में हो तो उसे लाल या गुलाबी रंग के पदार्थों का दान नहीं करना चाहिए। इसके अलावा गुड़, आटा, गेहूं, तांबा आदि दान नहीं करना चाहिए। सूर्य की ऐसी स्थिति में ऐसे जातक को नमक कम करके, मीठे का सेवन अधिक करना चाहिए। सूर्य के निमित्त लाल चंदन, लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, घी व केसर का दान देना लाभप्रद होता है।
- चंद्र ग्रह : चन्द्र वृष राशि में उच्च तथा कर्क राशि में अपनी राशि का होता है। यदि किसी जातक की जन्मकुंडली में चंद्र ग्रह ऐसी स्थिति में हो तो, उसे खाद्य पदार्थों में दूध, चावल एवं आभूषणों में चांदी एवं मोती का दान नहीं करना चाहिए। ऐसे जातक के लिए माता या अपने से बड़ी किसी भी स्त्री से दुर्व्यवहार करना हानिकारक हो सकता है। किसी स्त्री का अपमान करने पर ऐसे जातक मानसिक तनाव का शिकार हो जाते हैं। चंद्रमा के निमित्त चांदी, चावल, सफेद चंदन, शंख, कर्पूर, दही, मिश्री आदि का दान संध्या के समय में फलदाई है। जिस जातक के लिए चंद्र ग्रह स्वराशि हो उसे किसी नल, टयूबवेल, कुआं, तालाब अथवा प्याऊ निर्माण में कभी आर्थिक रूप से सहयोग नहीं करना चाहिए। यह उस जातक के लिए आर्थिक रूप से हानिकारक सिद्ध हो सकता है।
- मंगल ग्रह : मंगल मेष या वृश्चिक राशि में हो तो स्वराशि का तथा मकर राशि में होने पर उच्चता को प्राप्त होता है। यदि आपकी कुण्डली में मंगल ग्रह ऐसी स्थिति में है तो, मसूर की दाल, मिष्ठान अथवा अन्य किसी मीठे खाद्य पदार्थ का दान ना करें। मंगल के निमित्त गुड़, घी, लाल वस्त्र, कस्तूरी, केसर, मसूर की दाल, मूंगा, तांबे के बर्तन आदि का दान सूर्यास्त से पौन घंटे पूर्व करना चाहिए। आपके घर यदि मेहमान आए हों तो उन्हें कभी सौंफ खाने को न दें अन्यथा वह व्यक्ति कभी किसी अवसर पर आपके खिलाफ ही कटु वचनों का प्रयोग करेगा। यदि मंगल ग्रह के प्रकोप से बचना चाहते हैं तो किसी भी प्रकार का बासी भोजन न तो स्वयं खाएं और न ही किसी अन्य को खाने के लिए दें।
- बुध ग्रह : बुध मिथुन राशि में तो स्वराशि तथा कन्या राशि में हो तो उच्च राशि का कहलाता है। यदि किसी जातक की जन्मपत्रिका में बुध उपरोक्त वर्णित किसी स्थिति में है तो, उसे हरे रंग के पदार्थ और वस्तुओं का दान कभी नहीं करना चाहिए। हरे रंग के वस्त्र, वस्तु और यहां तक कि हरे रंग के खाद्य पदार्थों का दान में ऐसे जातक के लिए निषेध है। इसके अलावा इस जातक को न तो घर में मछलियां पालनी चाहिए और न ही स्वयं कभी मछलियों को कभी दाना डालना चाहिए। बुध के निमित्त सावधानी पूर्वक कांसे का पात्र, मूंग, फल आदि का दान करें।
- बृहस्पति ग्रह : बृहस्पति जब धनु या मीन राशि में हो तो स्वगृही तथा कर्क राशि में होने पर उच्चता को प्राप्त होता है। जिस जातक की कुण्डली में बृहस्पति ग्रह ऐसी स्थिति में हो तो, उसे पीले रंग के पदार्थ नहीं करना चाहिए। सोना, पीतल, केसर, धार्मिक साहित्य या वस्तुओं आदि का दान नहीं करना चाहिए। इन वस्तुओं का दान करने से समाज में सम्मान कम होता है। गुरु के निमित्त चने की दाल, धार्मिक पुस्तकें, पीले वस्त्र, हल्दी, केसर, पीले फल आदि का दान करना चाहिए।
- शुक्र ग्रह : शुक्र ग्रह वृष या तुला राशि में हो स्वराशि का एवं मीन राशि में हो तो उच्च भाव का होता है। जिस जातक की कुण्डली में शुक्र ग्रह की ऐसी स्थिति हो, तो उसे श्वेत रंग के सुगन्धित पदार्थों का दान नहीं करना चाहिए अन्यथा व्यक्ति के भौतिक सुखों में कमी आने लगती है। इसके अलावा नई खरीदी गई वस्तुओं का एवं दही, मिश्री, मक्खन, शुद्ध घी, इलायची आदि का दान भी नहीं करना चाहिए। ध्यान रखें, शुक्र के निमित्त चावल, मिश्री, दूध, दही, इत्र, सफेद चंदन आदि का दान सूर्योदय के समय करें।
- शनि ग्रह : शनि यदि मकर या कुम्भ राशि में हो तो स्वगृही तथा तुला राशि में हो तो उच्च राशि का कहलाता है। यदि आपकी कुण्डली में शनि की स्थिति है तो आपको काले रंग के पदार्थों का दान कभी भूलकर भी नहीं करना चाहिए। इसके अलावा लोहा, लकड़ी और फर्नीचर, तेल या तैलीय सामग्री, बिल्डिंग मैटीरियल आदि का दान नहीं करना चाहिए।शनि के निमित्त लोहा, उड़द की दाल, सरसों का तेल, काले वस्त्र, जूते का दान करना चाहिए। काला रंग : ऐसे जातक को अपने घर में काले रंग का कोई पशु जैसे कि भैंस अथवा काले रंग की गाय, काला कुत्ता आदि नहीं पालना चाहिए। ऐसा करने से जातक की निजी एवं सामाजिक दोनों रूप से हानि हो सकती है।
- राहु ग्रह : राहु यदि कन्या राशि में हो तो स्वराशि का तथा वृष एवं मिथुन राशि में हो तो उच्च का होता है। जिस जातक की कुण्डली इसमें से किसी भी एक स्थिति का योग बने, तो ऐसे जातक को नीले, भूरे रंग के पदार्थों का दान नहीं करना चाहिए। राहु के निमित्त तिल, सरसों, सप्तधान्य, लोहे का चाकू व छिलनी, सीसा, कम्बल, पशु, नीला वस्त्र, गोमेद आदि वस्तुओं का दान रात्रि समय में करना चाहिए। इसके अलावा अन्न का अनादर करने से परहेज करना चाहिए। जब भी ये खाना खाने बैठें, तो उतना ही लें जितनी भूख हो, थाली में जूठन छोड़ना इन्हें भारी पड़ सकता है।
- केतु ग्रह : केतु यदि मीन राशि में हो तो स्वगृही तथा वृश्चिक या फिर धनु राशि में हो तो उच्चता को प्राप्त होता है। यदि आपकी कुण्डली में केतु उपरोक्त स्थिति में है तो आपको घर में कभी पक्षी नहीं पालना चाहिए, अन्यथा धन व्यर्थ के कामों में बर्बाद होता रहेगा। इसके अलावा भूरे, चित्र-विचित्र रंग के वस्त्र, कंबल, तिल या तिल से निर्मित पदार्थ आदि का दान नहीं करना चाहिए। केतु के लिए लोहा, तिल, सप्तधान, तेल, दो रंगे या चितकबरे कम्बल या अन्य वस्त्र, शस्त्र, लहसुनिया व बहुमूल्य धातुओं में स्वर्ण का दान निशाकाल में करना चाहिए। हर सक्षम व्यक्ति को सूर्य संक्रांति, सूर्य व चंद्र ग्रहण, अधिक मास व कार्तिक शुक्ल द्वादशी को अन्न व जल का दान अवश्य करना चाहिए।