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हिमाचल के प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. चिरणजीत परमार का निधन, कैंसर से थे पीड़ित
वी.कुमार/मंडी। हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी (Mandi) से संबंध रखने वाले अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त प्रसिद्ध फल वैज्ञानिक डॉ. चरणजीत सिंह (Scientist Dr. Chiranjeet Parmar) का आज सुबह-सवेरे निधन (Death) हो गया है। उन्होंने 85 वर्ष की आयु में जेलरोड़ स्थित अपने आवास में 7:30 बजे अंतिम सांस ली। डॉक्टर परिवार पिछले कुछ समय से कैंसर (Cancer) की बीमारी से जूझ रहे थे, PGI चंडीगढ़ में उनका इलाज चल रहा था।
डॉक्टर परमार ने लिखी हैं कई किताबें
जानकारी के मुताबिक, मंडी शहर के हनुमान घाट में स्थित श्मशान घाट में डॉ. परमार का अंतिम संस्कार (Funeral) किया गया। आपको बता दें कि डॉ. परमार की बागवानी क्षेत्र में अहम भूमिका रही है, खास तौर पर जंगली फलों के शोध में उनका अहम योगदान रहा है। बागवानी के क्षेत्र में अपने शोध को लेकर डॉक्टर परमार ने कई किताबें भी लिखी है। वहीं, शोध को लेकर डॉक्टर परमार दो दर्जन से अधिक देश की यात्रा भी कर चुके हैं। उनके आकस्मिक निधन पर बागवानी क्षेत्र (Garden Areas) से लेकर तमाम बड़े लोगों ने श्रद्धा सुमन अर्पित किए हैं।
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कौन थे डॉ. चरणजीत परमार
डॉक्टर चरणजीत परमार का जन्म 1939 में हुआ था। डॉ. परमार ने मंडी शहर के विजय हाई स्कूल से सन 1955 में दसवीं और उसके बाद कृषि कॉलेज लुधियाना से 1959 में एग्रीकल्चर में बीएससी की डिग्री हासिल की। 1961 में वहीं से हॉर्टिकल्चर में एमएससी एग्रीकल्चर की परीक्षा पास की। बाद में इन्होंने 1972 में उदयपुर विश्वविद्यालय से फल विज्ञान में एचडी की। अपने 61 वर्ष के कार्यकाल में इन्होंने हिमाचल सरकार, (Himachal Govt.) बहुत से भारतीय तथा विदेशी विश्वविद्यालय, और कई देशी और विदेशी कंपनियों के लिए कार्य किया। ये दुनिया के लगभग सभी भौगोलिक भागों में कार्य कर चुके हैं।
ये अपने काम के सिलसिले में दुनिया के सभी प्रायद्वीपों के 34 देशों की यात्रा कर चुके हैं। डॉक्टर परमार भारत के पहले फल वैज्ञानिक (First Fruits Scientist) थे जिन्होंने पहाड़ों पर पाए जाने वाले जंगली फलों का अध्ययन किया और उन पर शोध की। इन्हें पूरे विश्व में हिमालय में पाए जाने वाले जंगली फलों के विशेषज्ञ के तौर पर जाना जाता रहा है। इन्होंने हिमालय में पाए वन्य फलों पर तीन पुस्तकें, एक सीडी रोम और दर्जनों लेख लिखे हैं। इनको ऐसे फलों के उपयोग के सिलसिले रिसर्च या भाषण देने के लिए विदेशों से भी निमंत्रण आते थे।
प्रोलिफिक राइटर भी थे डॉ. परमार
डॉक्टर परमार एक प्रोलिफिक राइटर (Prolific Writer) भी थे। उनके फल संबंधी सैकड़ों लेख भारतीय तथा विदेशी समाचार पत्रों ओर पत्रिकाओं में छप चुके हैं। इनके द्वारा चालू की गयी साप्ताहिक कार्टून स्ट्रिप “फ्रूट फैक्ट्स” ट्रिब्यून में तीन वर्ष तक छपती रही। इसी तरह हिन्दुस्तान टाइम्ज़ की साप्ताहिक पृष्ठ “एच टी एग्रीकल्चर” में इनके लेख नियमित रूप से अढाई साल तक छपते रहे। पिछले पंद्रह वर्षों से डॉ. परमार दुनिया में पाए जाने वाले तमाम भोज्य फलों के ऑन लाइन विश्वकोष “फ्रूटीपीडिया” का संकलन कर रहे हैं। इस विश्वकोश में दुनिया के 562 विभिन्न फलों की जानकारी उपलब्ध है। इस विश्वकोश को प्रतिदिन 1000 से 1500 लोग देखते हैं और अब तक कुल मिला कर 30 लाख से अधिक लोग देख चुके हैं। डॉ. परमार ने आईआईटी मंडी के कमांद कैंपस में बोटैनिकल गार्डन लगाया है।