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उत्तराखंड व जम्मू-कश्मीर की तर्ज पर #Himachal में पर्यटकों के लिए हो यह व्यवस्था
धर्मशाला। कोरोना (Corona) वायरस महामारी ने भारतीय यात्रा और पर्यटन उद्योग की कमर तोड़ दी है। इसका असर पूरी आपूर्ति श्रृंखला पर पड़ा है। ऐसे में कांगड़ा (Kangra) घाटी में हॉस्पिटैलिटी (Hospitality) व पर्यटन सेक्टर में भी कार्यरत हज़ारों लोगों के रोजगार पर आंच आ गई है। शायद कोरोना महामारी के कारण लोगों की मौत ना हो लेकिन निश्चित रूप से अवसाद और दिवालियापन के साथ जीवन खो देंगे। यह उद्गार सोमवार को होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन धर्मशाला के अध्यक्ष अश्वनी बांबा व महासचिव विवेक महाजन ने प्रेसवार्ता में व्यक्त किए।
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उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने अनलॉक थ्री और फोर में जारी की गई गाइडलाइन (Guideline) में प्रदेश सरकारों को पर्यटन गतिविधियों को पुनः शुरू करने के लिए सभी प्रकार के प्रतिबंध हटाने के आदेश जारी किए हैं। लेकिन हिमाचल प्रदेश में अभी भी पर्यटकों के लिए ई-पास और कोविड टेस्ट की शर्तें लागू हैं। ई-पास (E-Pass) और कोविड (Covid) टेस्ट की नेगिटिव रिपोर्ट की शर्तें पर्यटकों को हिमाचल आने से रोक रही हैं। ऐसे में एसोसिएशन प्रदेश सरकार से मांग करती है, उत्तराखंड व जम्मू-कश्मीर राज्य की तर्ज पर भी हिमाचल आने वाले पर्यटकों के हिमाचल सीमा और एयरपोर्ट्स आगमन पर ट्रू नॉट और सीबी नॉट/रैपिड एंटीजन टेस्ट किया जाए।
विभिन्न विभागों में मिले छूट
हॉस्पिटैलिटी, पर्यटन सेक्टर को जीएसटी (GST) भुगतान, प्रोविडेंट फंड, ईएसआई, एडवांस टैक्स का एडजस्टमेंट, प्रोपर्टी टैक्स, उत्पाद शुल्क और वैट, बिजली व पानी जैसी सुविधाओं के बिल से हॉस्पिटैलिटी सेक्टर को राहत प्रदान की जाए। बैंकों द्वारा पर्यटन उद्योग को दिए गए कर्ज व उसके ब्याज की वसूली को एक साल तक के लिए स्थगित किया जाए। ब्याज दर कम की जाए व एक साल बाद समीक्षा कर कर्ज वसूली के लिए फैसला लिया जाए।
सरकार बैंक की किस्त, बिजली पानी के बिल में राहत दे : ओंकार सिंह नैहरिया
होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन धर्मशाला के चेयरमैन ओंकार सिंह नैहरिया ने कहा कि कांगड़ा घाटी क्षेत्र में रोजगार का कोई अन्य साधन नहीं है, लोगों ने बैंक से कर्जा लेकर रोजगार के लिए होटल (Hotel) शुरू किए हुए हैं, जिससे यहां सैकड़ों लोगों को रोजगार मिला हुआ है। लॉकडाउन (Lockdown) में सरकार के निर्देशों का पालन करते हुए सभी ने पिछले 6 माह से होटलों को ताला लगाया हुआ है, लेकिन बैंक के कर्ज की किस्त हर माह, कर्मचारियों की सैलरी हर माह, सरकार को बैंक (Bank) के कर्जे, बिजली के लोड चार्जेज और पानी के बिल में राहत देनी चाहिए।