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मौत को चकमा देकर लौट आया शख्स, यूं किस्मत ने दिया साथ
बालेश्वर। अगर किस्मत साथ हो तो कोई किसी का बाल भी बांका नहीं कर सकता। कुछ इसी तरह का किस्सा एमके देब का है। पेशे से सरकारी कर्मचारी देब अपनी बेटी की मासूम सी जिद के कारण मौत को चकमा दे सके। यह कहानी ओडिशा में बालेश्वर के पास हुए रेल हादसे की है।
असल में एमके देब को अपनी बेटी के हाथ में फोड़े काइलाज करवाने के लिए कटक जाना था। उन्होंने खड़गपुर स्टेशन से कारोमंडल एक्सप्रेस का टिकट लिया था। टिकट थर्ड एसी में था, लेकिन बेटी ने ट्रेन रवाना होते ही खिड़की वाली सीट की जिद पकड़ ली। देब मना नहीं कर सके। उन्होंने टीसी से आग्रह किया कि अगर संभव हो तो किसी तरह बेटी के लिए खिड़की वाली सीट एक्सचेंज करवा दें।
सीट की जिद बनी जिंदगी
बड़ी मशक्कत के बाद टीसी ने बेटी के लिए तीन कोच आगे एक ऐसी सीट ढूंढ़ी, जहां बैठे मुसाफिर सीट बदलने को राजी हो गए। इस तरह एक घंटे में देब की बेटी की जिद पूरी हुई। शाम के करीब सवा सात बजे होंगे। ट्रेन बालेश्वर को पार कर चुकी थी। तभी बहनागा स्टेशन के करीब ट्रेन को अचानक एक जोरदार झटका लगता है। देब और अन्य यात्री समझ नहीं पाते कि हुआ क्या। बेटी को संभालने की कोशिश करते हैं लेकिन पूरी बोगी पलट जाती है।
पुराने कोच में होते तो…
पीछे का डिब्बा होने के चलते उसमें मौजूद लोगों को ज्यादा चोट नहीं लगती है। बेटी को सही सलामत देखकर चैन की सांस लेते हैं। नीचे उतरने के बाद इस भयानक हादसे के बारे में पता चलता है। जिस बोगी में उनका टिकट था उसकी हालत देखकर हैरान हो जाते हैं। वो कोच पूरी तरह से छतिग्रस्त हो चुका था। उस इकलौती बोगी में ही कई लोगों की मौत की खबर मिलती है। हादसे के बाद खुद को संभालते हैं और इसे चमत्कार मानकर भगवान को शुक्रिया करते हैं। देब कहते हैं, अगर उनकी बेटी ने सीट बदलने की जिद ना की होती तो शायद वो आज जिंदा नहीं होते। पूरे हादसे में देब और उनकी बेटी को मामूली चोट लगी है। रातभर अस्पताल में गुजारने के बाद देब अपनी बेटी के साथ कटक पहुंच गए थे।