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Nirbhaya: फांसी लगाने वाले जल्लाद की जुबानी, जानिए आखिरी 30 मिनट की पूरी कहानी
Last Updated on March 22, 2020 by Vishal Rana
नई दिल्ली। दिल्ली में हुए निर्भया गैंगरेप और मर्डर (Nirbhaya Case) के चारों दोषियों को लंबी कानूनी लड़ाई के बाद फांसी दी जा चुकी है। दिल्ली स्थित तिहाड़ जेल में दोषियों को फांसी के तख्ते पर लटकाने वाले जल्लाद (executioner) पवन उस दिन का घटनाक्रम अपने जीवन में कभी नहीं भूलेंगे। बक़ौल पवन वो इस दिन का इंतजार काफी समय से कर रहे थे। क्योंकि ऐसा करके उन्होंने अपने पिता और दादा का सपना पूरा किया है।
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पवन ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान उस दिन के घटनाक्रम को याद करते हुए बताया कि वे अब खुश महसूस कर रहे हैं क्योंकि वे दोषियों को दो बार फांसी देने मेरठ से दिल्ली आ चुके थे, लेकिन उन्हें बेरंग लौटना पड़ा था क्योंकि कानूनी दांव पेंच के चलते फांसी बार-बार टल रही थी। पवन जल्लाद ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि चार लोगों को एकसाथ फांसी देकर मैंने पिता और दादा का सपना पूरा किया है। उन्होंने कहा कि मैंने निर्भया के चारों दोषियों को फांसी देकर अपना धर्म निभाया है। यह हमारा पुश्तैनी काम है। पवन ने यह भी बताया कि फांसी होने से पहले दरिंदों को कोई पश्चाताप नहीं था।
उस दिन के बारे में बताते हुए पवन ने कहा कि फांसी वाले दिन सुबह दोषियों के हाथ बांधकर फंदे तक लाया गया। सबसे पहले अक्षय और मुकेश को फांसी घर लाया गया इसके बाद पवन और विनय को तख्ते पर ले जाया गया। हर गुनहगार के साथ पांच-पांच बंदीरक्षक थे। उन लोगों को एक-एक कर तख्ते पर ले जाकर खड़ा किया गया। पवन आगे बताते हैं इसके बाद चारों दोषियों के फंदे को दो लीवर से जोड़ा गया। उनके चेहरे पर कपड़ा डालकर सभी के गले में फंदा डाला गया। समय के अुनसार जेल अफसर के इशारे पर जल्लाद ने लीवर खींच दिया गया और उनको फांसी दे दी गई।