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हिमाचल में कहां है विकास? कुल्लू में महिला-शिमला में बुजुर्ग पीठ पर लाद पहुंचाए अस्पताल
कुल्लू/शिमला। हिमाचल में अभी हाल ही में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान हुआ है। मतदान से पहले नेता बड़े बड़े विकास के दावे करते नहीं थक रहे थे। लेकिन जमीन पर विकास की हकीकत क्या है। यह कुल्लू (Kullu) और शिमला (Shimla) की यह तस्वीरें बता रही हैं। इन दोनों जिला के दो ऐसे क्षेत्र हैं जहां आज भी बीमारी की हालत में लोगों को पीठ या फिर डंडे कुर्सी से बांधकर मुख्य सड़क तक पहुंचाया जाता है। इन दोनों जगहों को देख कर प्रदेश के विकास के दावों की पोल खुलती हुई नजर आई है। पहला मामला कुल्लू जिला की सैंज घाटी (Sainj Valley) की गाड़ापारली पंचायत का है। यहां आज यानी सोमवार को एक बुजुर्ग बीमार हो गए।
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बताया जा रहा है कि बनाउगी गांव के 62 वर्षीय बुजुर्ग मनी राम की अचानक तबीयत खराब हो गई। तेज बुखार के चलते मनी राम की हालत गंभीर होने लगी तो परिजनों ने ग्रामीणों से मदद मांगी। जिसके बाद परिजनों व ग्रामीणों ने हौसला दिखाते हुए कुर्सी पर ही दो डंडों के सहारे मरीज को सात किमी दूर जंगला बिहाली में पहुंचाया। यहां से मरीज को वाहन के माध्यम सैंज अस्पताल ले गए। जहां पर उनका उपचार चल रहा है। वहीं इस बारे में सैज संघर्ष समिति के अध्यक्ष महेश शर्मा ने कहा कि समिति द्वारा कई बार प्रशासन के माध्यम से सरकार को ज्ञापन भेजा, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। ग्राम पंचायत गाड़ापारली की प्रधान यमुना देवी ने कहा कि पंचायत द्वारा लोक निर्माण विभाग को प्रस्ताव बनाकर भेजा है।
एंबुलेंस मार्ग बनाने के लिए पिछले 5 सालों से कर रहे संघर्ष
इसी तरह से दूसरा मामला राजधानी शिमला (Shimla) का है। प्रदेश की राजधानी में भी कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां आज तक सड़क सुविधा नहीं पहुंची है। स्मार्ट सिटी शिमला में कई वार्ड ऐसे हैं, जहां पर लोगों को मूलभूत सुविधाएं ही नहीं मिल रही हैं। ऐसा ही एक वार्ड मज्याठ भी है। यहां के लोगों को भी बीमारी की हालत में मरीज को पीठ पर या फिर कुर्सी पर उठाकर सड़क तक पहुंचाना पड़ता है। यहां बीते दिन एक बुजुर्ग महिला (Elderly Lady) को पीठ पर उठाकर ले जाना पड़ा।
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वार्ड में पिछले कई सालों से एंबुलेंस मार्ग बनाने की मांग की जा रही है, लेकिन किसी भी सरकार ने वार्ड के लोगों की इस मांग को नहीं सुना। स्थानीय लोगों का कहना है कि एंबुलेंस मार्ग (Ambulance Road) बनाने की मांग पिछले कई सालों से कर रहे हैं। निवर्तमान पार्षद भी इस एंबुलेंस मार्ग को बनाने के लिए पिछले 5 सालों से संघर्ष कर रहे हैं। केंद्र से लेकर प्रदेश सरकार के शहरी विकास मंत्री से मिले, लेकिन सरकार के 5 साल बीत जाने के बाद भी समस्या का हल नहीं हुआ है। मज्याठ के पार्षद दिवाकर देव शर्मा का कहना है कि हमें लगता ही नहीं है कि हम शहर में रहते हैं। हमारे हाल ऐसे हैं कि हम दूरदराज के किसी क्षेत्र में रहते है।
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