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नई दिल्ली। केंद्र सरकार के कर्मचारियों को अब अपने निवेश की सूचना तभी देनी होगी, जब एक कैलेंडर साल में निवेश की रकम उनके 6 महीने के मूल वेतन से अधिक हो जाए। अभी तक समूह ए और समूह बी के अफसरों को एक कैलेंडर साल में 50 हजार रुपए से अधिक का निवेश करने पर उसका खुलासा करना होता था। समूह सी और समूह डी के कर्मचारियों के लिए यह ऊपरी सीमा 25,000 रुपये थी।
केंद्र सरकार ने शेयरों और म्यूचुअल फंडों में निवेश के खुलासे की सीमा बढ़ा दी है। सरकार ने अब फैसला किया है कि अब सभी कर्मचारियों को शेयरों, प्रतिभूतियों, डिबेंचर और म्यूचुअल फंड योजनाओं में अपने निवेश की सूचना तभी देनी होगी, जबकि एक कैलेंडर साल में यह निवेश उनके छह माह के मूल वेतन को पार कर जाए।
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जारी किया प्रारूप
मंत्रालय ने केंद्र सरकार के सभी विभागों को आदेश जारी किया है। सरकार ने कर्मचारियों को निवेश के ब्योरे को साझा करने के बारे में प्रारूप भी जारी किया है। सेवा नियम कहते हैं कि कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी शेयर या अन्य निवेश में सटोरिया गतिविधियां नहीं कर सकता। सेवा नियमों में यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि किसी कर्मचारी द्वारा शेयरों, प्रतिभूतियों और अन्य निवेश की खरीद-बिक्री की जाती है तो उसे सटोरिया गतिविधि माना जाएगा। कार्मिक मंत्रालय ने कहा कि यह कदम उठाने की जरूरत इसलिए महसूस हुई है, क्योंकि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद सरकारी कर्मचारियों के वेतन में इजाफा हुआ है।
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