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किसानों को साहूकारों के चंगुल से बचाने के लिए मोदी सरकार का अभियान जोरों पर है। किसानों को सस्ती दर पर खेती के लिए पैसे मिल सके इसके लिए सरकार किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) पर जोर दे रही है और कोशिश कर रही है कि किसान (farmers) ज्यादा से ज्यादा इस स्कीम से जुड़ें। सरकार ने बैंकों को सख्त निर्देश दिए हैं कि आवेदन के 15वें दिन तक यानी दो सप्ताह के अंदर केसीसी बन जाए। किसान क्रेडिट कार्ड (kisan credit card) बनवाने के लिए सरकार ने गांव स्तर पर अभियान चलाने का फैसला लिया है। देश में अभी मुश्किल से 7 करोड़ किसानों के पास ही किसान क्रेडिट कार्ड है, जबकि किसान परिवार 14.5 करोड़ हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि बैंकों ने इसके लिए प्रक्रिया बहुत जटिल की हुई है, ताकि किसानों को कम से कम कर्ज देना पड़े।
दूसरी ओर, सरकार के सामने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का बड़ा लक्ष्य है इसलिए वो चाहती है कि किसान बैंकों से सस्ते ब्याज दर पर लोन लेकर खेती करें न कि साहूकारों के जाल में फंसकर आत्महत्या इसलिए सरकार ने बैंकों से केसीसी बनवाने के लिए लगने वाली फीस खत्म करवा ली है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि सरकार हर पात्र किसान को केसीसी जारी करना चाहती है इसलिए राज्यों के साथ मिलकर काम कर रही है। जिन राज्यों में बहुत कम किसानों ने इसका फायदा लिया है वहां केंद्र की टीम दौरा करेगी।
गांव-गांव जाकर लोगों को समझाएंगे फायदे
इसके लिए गांवों में जो कैंप (camp) लगाए जाएंगे उनमें किसान से पहचान पत्र और निवास प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, जमीन का रिकॉर्ड और फोटो देनी होगी। इतने में ही बैंक को केसीसी बनाना पड़ेगा। जिला स्तरीय बैंकर्स कमेटी गांवों में कैंप लगाने का कार्यक्रम बनाएगी, जबकि राज्य स्तरीय कमेटी इसकी निगरानी करेगी। इसमें सबसे बड़ी भूमिका जिलों के लीड बैंक मैनेजरों की तय की गई है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लोकसभा में जानकारी दी है कि अब बैंकों को आवेदन के 15 दिन में ही किसान क्रेडिट कार्ड बनाना पड़ेगा। खेती-किसानी के लिए ब्याजदर वैसे तो 9 परसेंट है, लेकिन सरकार इसमें 2 परसेंट की सब्सिडी देती है। इस तरह यह 7 प्रतिशत पड़ता है, लेकिन समय पर लौटा देने पर 3 फीसदी और छूट मिल जाती है। इस तरह इसकी दर ईमानदार किसानों के लिए मात्र 4 फीसदी रह जाती है।
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