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नई दिल्ली। आप किसी होटल या रेस्टोरेंट की सेवा लेते हैं तो यह आप पर निर्भर करता है कि आप सर्विस चार्ज दें या नहीं। केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि कोई भी कंपनी, होटल या रेस्टोरेंट ग्राहकों से जबरदस्ती सर्विस चार्ज नहीं वसूल सकता। कन्ज्यूमर अफेयर्स मिनिस्ट्री ने सभी राज्य सरकारों से कहा है कि वह कंपनियों, होटलों और रेस्टोरेंट को इस बारे में सचेत कर दें। गौरतलब है कि यह प्रावधान पहले से ही था कि बिल में टैक्स के अलावा सर्विस चार्ज जुटा तो ग्राहक चाहें तो सर्विस चार्ज दें या नहीं, लेकिन होटलों और रेस्तारांओं ने सर्विस चार्ज देना भी जरूरी बना दिया था। मंत्रालय को उपभोक्ता की मर्जी के बिना सर्विस टैक्स वसूले जाने की शिकायतें मिलीं तो उसने स्पष्टीकरण जारी किया। इस स्पष्टीकरण में कहा गया है कि बिल में टैक्सेज जोड़ने के बाद सर्विस चार्ज लगाया गया हो तो उसे चुकाना वैकल्पिक होगा। यानी, अगर उपभोक्ता को लगे कि उसे मिली सेवा से वह पूर्णतः संतुष्ट है तो वह सर्विस चार्ज दे, वरना वह सर्विस चार्ज के रूप में एक रुपया भी नहीं देगा। ऐसी स्थिति में सर्विस प्रोवाइडर उपभोक्ता पर सर्विस चार्ज पे करने का दबाव नहीं
डाल सकता।
मंत्रालय ने राज्य सरकारों को निर्देश दिया कि वो होटलों, रेस्तरांओं में उचित जगह पर इसकी जानकारी चस्पां करने को कहें कि सर्विस चार्ज का भुगतान पूरी तरह ग्राहक की मर्जी पर निर्भर करता है, इसमें कोई जोर-जबरदस्ती नहीं हो सकती। विज्ञप्ति में कहा गया है कि उपभोक्ताओं ने कई शिकायतें की हैं कि होटल और रेस्तरां टिप्स के रूप में 5 से 20 प्रतिशत तक सर्विस चार्ज लगाते हैं जिसका भुगतान करने का दबाव उपभोक्ताओं पर बनाया जाता है, जिसका सर्विस की कैटिगरी से कोई लेना-देना नहीं होता है।मंत्रालय की विज्ञप्ति कहती है कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (कन्ज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट) 1986 में कहा गया है कि बिक्री, इस्तेमाल या किसी सामान की आपूर्ति अथवा किसी सेवा के लिए अनुचित तरीका अपनाने या धोखा देने को गलत धंधा (अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस) माना जाएगा। ऐसे में उपभोक्ता इस अधिनियम के अंतर्गत स्थापित उचित फोरम में ऐसे गलत धंधे के खिलाफ शिकायत दर्ज करवा सकता है।
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