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धर्मशाला। नूरपुर स्कूल बस हादसे में अपने लाडलों को खो चुके लोगों के सब्र का बांध आखिर टूटता नजर आ रहा है। पांच माह से दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की बाट जोह रहे परिजन आज नाक रगड़ते हुए डीसी कांगड़ा की दहलीज पर पहुंचे। कचहरी अड्डा स्थित हनुमान मंदिर से डीसी ऑफिस तक परिजन नाक रगड़ते हुए पहुंचे और डीसी कांगड़ा से मुलाकात की।
डीसी ऑफिस में जब लोग पहुंचे तो उनके हाथ में अपने लाडलों की अंगुलियां नहीं बल्कि फोटो थीं। डीसी साहब के पास पहुंच कर परिजनों ने सिस्टम पर जमी धूल को साफ करने के लिए गुहार लगाई। मामले की जांच सीबीआई से करवाने की मांग की। डीसी कांगड़ा संदीप कुमार ने उनके स्तर पर पूरी हो सकने वाली मांग को पूरा करने का भरोसा दिलाया और कहा कि वह उनके गम में शामिल हैं।
उनसे मिलने पहुंचे प्रतिनिधिमंडल को जब डीसी कांगड़ा संदीप कुमार ने कहा कि वह उनके गम में शामिल हैं तो एक महिला के सब्र का बांध टूट गया और रोते हुए कहा कि साहब बस यह मत बोलना कि आप हमारे गम में शामिल हैं। यह अफसरों का तकिया कलाम बन गया है। अपने जिगर के टुकड़ों को खो कर सब कुछ झेलते हम हैं और तड़पते हम हैं। अफसर गाड़ी में बैठते ही हर गम को भूल जाते हैं।
वहीं डीसी ने जब बच्चों की याद में स्मारक बनाने की बात की तब भी लोगों ने दो टूक जवाब दे दिया। लोगों ने कहा कि आप स्मारक रहने दीजिए साहब, स्मारक हमारे दिलों में उम्र भर रहेगा। बस आप न्याय दिला दीजिए। सीबीआई जांच का यह मांगपत्र शिमला तक पहुंचा दो। वहीं, हनुमान मंदिर के पास कचहरी अड्डे पर एक बैनर पर लगी फोटो ने एक बार फिर नूरपुर हादसे की याद दिला दी। इस बैनर पर उन बच्चों की फोटो लगी हुई है जो इसी साल अप्रैल में नूरपुर में बस हादसे का शिकार हुए थे।
नूरपुर स्कूल बस हादसे को पूरे पांच महीने बीत चुके हैं। 9 अप्रैल को हुए इस दर्दनाक बस हादसे में 24 बच्चों समेत 28 लोगों की मौत हो गई थी। इस दर्दनाक हादसे ने प्रदेश के साथ-साथ पूरे देश को हिला कर रख दिया था। हादसे के बाद से लेकर मृतकों के परिजन न्याय के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं। न्याय के लिए वे हाईकोर्ट तक का दरवाजा खटखटा चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
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