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धर्मशाला। नूरपुर स्कूल बस हादसे में मारे गए 23 मासूमों के परिजन अब भी न्याय को तरस रहे हैं। मंगलवार को धर्मशाला में समाज सेवी संजय शर्मा की अगुवाई में परिजनों ने प्रशासन पर अधूरी जांच करने के आरोप लगाए। परिजनों ने मामले की सीबीआई से जांच करवाने की मांग की है। वहीं, प्रशासन की तरफ से जांच के लिए तैनात अधिकारी की रिपोर्ट से भी पीड़ित संतुष्ट नहीं हैं।
परिजनों ने आरोप लगाया है कि हादसे के दौरान प्रदेश सरकार ने कई दावे किए थे जो आज हवा-हवाई होते दिख रहे हैं। एक और जहां सरकार ने पीड़ितों को न्याय की बात कहीं। वहीं, प्रशासन ने जो एफआईआर नूरपुर में दर्ज हुई थी वह अब धर्मशाला पहुंच चुकी है। इस हादसे में अपने बच्चों को खोने वाले अजय सिंह, विक्रम सिंह, कर्ण सिंह, दिलदार, हंसराज, जसविंद्र सिंह, राजेश, नरेश, मनोज, रधुवीर, राधव, सुधीर व नरेश सिंह का कहना था वे अपने बच्चों के न्याय के लिए आज भी दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं।
उन्होंने पीडब्ल्यूडी विभाग की कार्यप्रणाली को घेरते हुए कहा कि 8 लाख 44 हजार की लागत से बना डंगा मात्र तीन माह में ही गिर जाता है, जिसकी जांच होनी चाहिए। परिजनों ने कहा कि उन्होंने पीएम को भी इस मामले में पत्र लिख कर सीबीआई जांच की मांग की थी, जिस पर उन्हें उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया गया था। बावजूद इसके हादसे के पांच महीने बीत जाने के बाद भी न्याय नहीं मिला।
पीड़ित जिला प्रशासन की तरफ से जांच के लिए तैनात अधिकारी की रिपोर्ट से भी संतुष्ट नहीं हैं। पीड़ितों का कहना था कि जिस बस ड्राइवर पर जिला प्रशासन ने नींद का हवाला देकर अपना पल्ला झाड़ लिया वह आर्मी में नौकरी करता था और पिछले कई सालों से स्कूल बस चला रहा था, ऐसे में उस पर आरोप मढ़ देना न्याय संगत नहीं है। पीड़ितों ने कहा कि एडीएम की रिपोर्ट में कई ऐसी खामियां थी जिन पर जांच होना जरुरी है।
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