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शिमला। विश्व धरोहर में शामिल कालका-शिमला हेरिटेज रेल ट्रैक पर एक बार फिर 113 साल पुराना भाप इंजन छुक-छुक कर दौड़ा। इस भाप इंजन ने शिमला से कैथलीघाट तक 22 किलोमीटर की दूरी तय की। 41 टन वजनी यह भाप इंजन 113 साल पुराना है। जिसकी क्षमता 80 टन खींचने की है। देवदार के हरे भरे पेड़ों के बीच चले इस इंजन ने दो बोगियां खींची। धुएं का गुब्बार छोड़ते हुए स्टीम इंजन के साथ विदेश मेहमानों ने भी सफर का आनंद लिया।
इंग्लैंड के पर्यटकों ने भाप इंजन के साथ सफर के दौरान अपनी खुशी जाहिर की और कहा की शिमला का मौसम साफ व प्रदुषण रहित है। क्य्बोस इंग्लैंड पर्यटक, स्टेशन मास्टर प्रिंस सेठी ने कहा की स्टीम इंजन के साथ 14-14 सीटों वाले दो कोच लगा कर इसे शिमला रेलवे स्टेशन से रवाना किया गया। आईआरसीटीसी की ओर से स्टीम इंजन की बुकिंग करवाई गई थी। इसी बुकिंग पर विदेशी पर्यटकों के दल ने शिमला से कैथलिगाट तक का सफर किया और वापस शिमला रेलवे स्टेशन तक आए।
बता दें कि विश्व धरोहर कालका-शिमला रेल मार्ग सौ साल से भी अधिक पुराना ट्रैक है। इस मार्ग को वर्ष 2008 में यूनेस्को ने तीसरी रेल लाइन के रूप में विश्व धरोहर में शामिल किया था। 96 किलोमीटर की कालका शिमला रेल लाइन में 102 सुरंग व 800 छोटे बड़े पुल हैं।
रेलवे स्टेशन शिमला में पहली ट्रेन नौ नवंबर 1903 को पहुंची थी। ये स्टीम इंजन कालका कैथलीघाट के बीच 1905 में पहली बार चलाया गया था। इस ट्रैक पर वर्ष 1970 तक भाप इंजन ही चलते थे। इसके बाद डीजल इंजन आने पर भाप इंजन बंद हो गए। लेकिन, धरोहर के रूप में अब भी उत्तर रेलवे ने कुछ भाप इंजनों को संभाल कर रखा हुआ है।
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