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शिमला। हिमाचल में 2 अक्टूबर को एक साथ एक लाख लोगों को बीपीएल (BPL) सूची से आउट किया जाएगा। जयराम सरकार (Jai Ram Govt) ने 2 अक्तूबर को गांधी जयंती के मौके पर प्रदेश में होने वाली सभाओं की विशेष बैठकों में एक लाख बीपीएल (BPL) लोगों को इस सूची से बाहर करने का निर्णय लिया है। यह एक लाख लोग वो होंगे जो पिछले काफी समय से बीपीएल (BPL) सूची में थे और जिनकी आर्थिक स्थिति अब ठीक हो चुकी है। यह बात प्रदेश के ग्रामीण विकास व पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने आज मानसून सत्र के दौरान नियम 62 के तहत विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री और आशीष बुटेल द्वारा पेश प्रस्ताव पर हुई चर्चा के उत्तर में कही।
वीरेंद्र कंवर ने साफ किया कि प्रदेश सरकार द्वारा ऐसी कोई अधिसूचना जारी नहीं की गई है, जिसमें यह लिखा हो कि सरकार किसी पंचायत को बीपीएल (BPL) मुक्त बनाने जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य प्रदेश में बीपीएल (BPL) को माफिया बन जाने से रोकना है और इसके लिए सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि बीपीएल (BPL) की सूची से फर्जी लोगों को बाहर निकालने का सरकार का अभियान लगातार जारी रहेगा।
वीरेंद्र कंवर ने कहा कि हमें गरीब बनने की मानसिकता से ऊपर उठना होगा और इसी मानसिकता के साथ लोगों को दो अक्तूबर को गांधी जयंती के मौके पर आयोजित होने वाली ग्रामसभाओं की विशेष बैठकों में आना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार बीपीएल (BPL) की सूची से ऐसे लोगों को हटाने के लिए प्रतिबद्ध है जो सुविधा संपन्न अथवा अपात्र हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस समय प्रदेश में बीपीएल (BPL) परिवारों की संख्या 2.82 लाख है।
बीपीएल की सूची में कटौती को पंचायती राज की भावनाओं के खिलाफः मुकेश
इससे पूर्व विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने प्रस्ताव पेश करते हुए बीपीएल (BPL) की सूची में की जा रही कटौती को पंचायती राज की भावनाओं के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग ने एक पत्र जारी कर 2500 रुपए महीना आमदनी वाले परिवारों को बीपीएल की सूची से बाहर करने का तुगलकी फरमान जारी किया है, जो पंचायती राज की आत्मा को खत्म कर रहा है।
उन्होंने ये भी कहा कि पहले ग्रामसभाएं बीपीएल (BPL) की सूची तय करती थी, मगर अब सरकार ने तीन लोगों की कमेटी बना दी है जो असंवैधानिक है। उन्होंने गरीबी हटाने के नाम पर सरकार द्वारा बीपीएल (BPL) खत्म करने की कोशिश को गलत करार दिया और पंचायतों में दर्ज तीन सदस्यीय कमेटी को तुरंत भंग करने की मांग की। इसी मुद्दे पर विधायक आशीष बुटेल ने भी 2500 रुपए मासिक आमदनी वाली अधिसूचना को तुरंत वापस लेने की सरकार से मांग की। उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि आज गरीबों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है और जयराम सरकार अमीरों की सरकार बनकर रह गई है।
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