-
Advertisement
Covid-19 Effect: अब कभी स्कूल नहीं लौट पाएंगे एक करोड़ बच्चे; शिक्षा पर पड़ेगा व्यापक प्रभाव
नई दिल्ली। चीन के वुहान से उपजे कोरोना वायरस (Coronavirus) ने दुनिया भर के 180 से अधिक देशों को अपनी चपेट में ले रखा है। दुनियाभर में कोविड-19 (Covid-19) के मामले सोमवार को 1.30 करोड़ के पार हो गए जबकि मृतकों की संख्या 5.72 लाख से अधिक हो गई। बतौर रिपोर्ट्स, ‘महज़ 5 दिन के अंदर मामलों में 10 लाख की बढ़ोतरी हुई है।’ कोविड-19 से सर्वाधिक प्रभावित अमेरिका में संक्रमण के 33 लाख से अधिक मामले आए हैं। इस सब के बीच एक ऐसी रिपोर्ट सामने आई है, जिसके बारे में जानकार हर कोई हैरान है। इस रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर के बच्चों के भविष्य पर बेहद ही प्रतिकूल प्रभाव डाल रही इस महामारी के चलते भविष्य में घोर आर्थिक तंगी देखी जाएगी, उसके कारण आने वाले वक्त में स्कूलों के एडमिशन पर बुरा असर पड़ेगा।
9 से 11 करोड़ बच्चों के गरीबी में धकेले जाने का खतरा भी बढ़ा
बच्चों के लिए काम करने वाली संस्था सेव द चिल्ड्रन संस्था द्वारा तैयार की गई इस रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र के डेटा का हवाला देते हुए लिखा गया हैकि अप्रैल 2020 में दुनियाभर में 1.6 अरब बच्चे स्कूल और यूनिवर्सिटी नहीं जा सके। यह दुनिया के कुल छात्रों का 90 फीसदी हिस्सा है। इस रिपोर्ट में आगे कहा गया हाइया कि मानव इतिहास में पहली बार वैश्विक स्तर पर बच्चों की एक पूरी पीढ़ी की शिक्षा बाधित हुई। इस रिपोर्ट की मानें तो अब 9 से 11 करोड़ बच्चों के गरीबी में धकेले जाने का खतरा भी बढ़ गया। साथ ही परिवारों की आर्थिक रूप से मदद करने के लिए छात्रों को पढ़ाई छोड़ कम उम्र में ही नौकरियां शुरू करनी होंगी। ऐसी स्थिति में लड़कियों की जल्दी शादी भी कराई जाएगी और करीब एक करोड़ छात्र कभी शिक्षा की ओर नहीं लौट पाएंगे। इस रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि निम्न और मध्यम आय वाले देशों में 2021 के अंत तक शिक्षा बजट में 77 अरब डॉलर की कमी आएगी।
यह भी पढ़ें: जानवरों पर सफल ट्रायल के बाद भारत की दो Covid-19 वैक्सीन को मिली Human Trail की मंजूरी
इस रिपोर्ट के अनुसार करीब एक करोड़ बच्चे कभी स्कूल नहीं लौटेंगे। यह एक अभूतपूर्व शिक्षा आपातकाल है और सरकारों को तत्काल शिक्षा में निवेश करने की जरूरत है। सेव द चिल्ड्रन की सीईओ इंगेर एशिंग ने बताया कि हमने सरकारों और दानकर्ताओं से अपील की है कि स्कूलों के दोबारा खुलने के बाद वे शिक्षा में और निवेश करें और तब तक डिस्टेंस लर्निंग को प्रोत्साहित करें। एशिंग का कहना है कि हम जानते हैं कि गरीब बच्चों को इसका सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। वे पहले ही हाशिए पर थे। इस बीच पिछले आधे एकेडमिक ईयर से डिस्टेंस लर्निंग या किसी भी तरह से शिक्षा तक उनकी पहुंच ही नहीं है। उन्होंने लेनदारों से कम आय वाले देशों के लिए ऋण चुकाने की सीमा को निलंबित करने का भी आग्रह किया है जिससे शिक्षा बजट में 14 अरब डॉलर बच सकेंगे।