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नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने पांच राज्यों (यूपी, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर) में होने वाले विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान कर दिया है। चुनाव के लिए पहली वोटिंग 4 फरवरी, जबकि आखिरी वोटिंग 8 मार्च को होनी है। वोटों की गिनती 11 मार्च को की जाएगी। इस घोषणा के साथ पांचों राज्यों में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। ऐसे में विपक्ष ने इस बार पहली फरवरी को आम बजट पेश करने के सवाल के फैसले पर आपत्ति जाहिर की है। कांग्रेस समेत विपक्ष के तमाम दलों की तरफ से चुनाव आयोग को इस संबंध में एक पत्र सौंपा गया है। मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने बुधवार को चुनाव की तिथि की घोषणा करने के दौरान एक सवाल का जवाब देते हुए इसकी पुष्टि की है। नसीम जैदी ने कहा कि चुनाव आयोग को राजनीतिक दलों की तरफ से इस संबंध में एक ज्ञापन मिला है। चुनाव आयुक्त ने कहा कि आयोग इस मसले पर जांच के बाद ही फैसला लेगा।
media reports के मुताबिक कांग्रेस समेत विपक्ष की 16 पार्टियों ने राष्ट्रपति और चुनाव आयोग को इस संबंध में पत्र लिखा है। इन राजनीतिक दलों का कहना है कि केंद्र की बीजेपी सरकार बजट को आगामी विधानसभा चुनावों के लिए इस्तेमाल कर सकती है। विपक्ष के मुताबिक वोटरों को रिझाने के लिए लोक-लुभावन वादे किए जा सकते हैं और बजट का इस्तेमाल खुद के प्रचार के लिए किया जा सकता है। इस बार केंद्र सरकार ने एक फरवरी को बजट पेश करने का निश्चय किया है। पहली बार रेल बजट को आम बजट के साथ मिलाने का भी फैसला किया गया है। विपक्ष नहीं चाहता कि सरकार जल्द बजट पेश करे। यह भी तर्क दिए जा रहे हैं कि पांच साल पहले यूपीए के कार्यकाल में चुनावों को देखते हुए बजट पेश करने का समय आगे बढ़ाया गया था। 2012 में बजट एक मार्च की बजाय 16 मार्च को पेश किया गया था। उस समय विधानसभा चुनावों को देखते हुए ऐसा फैसला लिया गया था। उधर, आम आदमी पार्टी ने भी एक फरवरी को बजट पेश करने के मसले पर सवाल उठाया है।
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