- Advertisement -
नाहन। संस्कृति मंत्रालय के दक्षिण मध्य क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र नागपुर की ओर से आयोजित किए जा रहे ओरेंज फेस्टिवल में आसरा संस्था जालग के पंद्रह कलाकारों ने पारंपरिक लोक नृत्यों की झलक पेश धमाल मचाया। नागपुर में पिछले 25 वर्षों से हर वर्ष इस ऐतिहासिक सांस्कृतिक मेले का आयोजन किया जा रहा है।
आसरा संस्था के प्रभारी गोपाल सिंह ने बताया कि 17 से 20 जनवरी तक 16 राज्यों से आए लगभग 300 लोक कलाकारों के साथ सिरमौर के आसरा संस्था के लोक कलाकारों ने प्रदेश की अमूल्य धरोहर के साथ-साथ वर्ष भर में मौसम के अनुसार गाए जाने वाले लोक गीतों व नृत्यों की पारंपरिक विधाओं की प्रस्तुति देकर इस सांस्कृतिक समारोह में जिला सिरमौर की संस्कृति की अलग पहचान बनाई। चार दिन में सिरमौरी कलाकारों ने अपने हुनर से जिला व प्रदेश की संस्कृति को पहचान दिलाई है। इस मौके पर सांस्कृतिक संध्याओं में सिरमौर के लोक कलाकारों ने सिरमौरी नाटी की प्रस्तुति में ठोडा, रिहाल्टी गीत, दीपक नृत्य, परात नृत्य, मुंजरा नृत्य, हुडक नृत्य व रासा नृत्य की विभिन्न प्रस्तुतियां दी।
विद्यानन्द सरैक द्वारा लिखित लोकगीतों तथा जोगेंद्र हाब्बी के निर्देशन में तैयार लोक नृत्यों की प्रस्तुति ने नागपुर के हजारों दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। आसरा सांस्कृतिक दल के कलाकारों में लोक गायक रामलाल वर्मा, गोपाल हाब्बी व सुनपति, ढोलक वादक हंसराज व रमेश कुमार, रणसींगा व करनाल वादक मुकेश कुमार, बांसुरी वादक कृष्ण लाल, लोक नर्तक चमन लाल, जोगेंद्र, अमीचंद, जितेंद्र, सरोज, लीला, अनुजा तथा लक्ष्मी ने इस महोत्सव में हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर की पारंपरिक नृत्य विधाओं की प्रस्तुति दी।
इन राज्यों ने भी दिखाई प्रतिभा
ऑरेंज सिटी क्राफ्ट उत्सव में मध्य प्रदेश का भगौरिया नृत्य, छत्तीसगढ़ का ककसार, कर्नाटक का ढोलु कुणीता, जम्मु कश्मीर का रूफ, ओडिसा का गुबकुडू व सांढा नृत्य, उत्तर प्रदेश का मयुर, त्रिपुरा का हौजागीरी, आंध्र प्रदेश का थपेटा गुल्लू, गुजरात का सिद्दी धमाल, हरियाणा का घुमर, फाग व बीन जोगी, मेघालय का वांगला, पंजाब का भांगड़ा, जीन्दूआ व बाजीगर, लेह लदाख का जेब्रो, मध्य प्रदेश का राई, राज्य स्थान का कच्ची घोड़ी, भपंग व तेराताली नृत्य के साथ हिमाचली कलाकारों को इस सांस्कृतिक महोत्सव में प्रदर्शन के लिए आमंत्रित किया गया था।
- Advertisement -