-
Advertisement
पद्मश्री साहित्यकार गिरिराज किशोर नहीं रहे, Kanpur में ली अंतिम सांस
Last Updated on February 9, 2020 by Deepak
कानपुर। पद्मश्री साहित्यकार गिरिराज किशोर का रविवार सुबह उनके निवास पर निधन हो गया। मुजफ्फरनगर निवासी 83 वर्षीय गिरिराज किशोर (Giriraj Kishore) कानपुर में बस गए थे और यहां के शूटरगंज में रहते थे। गिरिराज किशोर के निधन से साहित्य (Literature) के क्षेत्र में शोक छा गया है। किशोर ने सुबह रोज की तरह नाश्ता किया और लोगों से बातचीत की फिर अचानक नौ बजे के बाद उनकी तबीयत बिगड़ी और साढ़े नौ बजे आवास पर ही उनका निधन हो गया। गिरिराज किशोर ने अपना शरीर दान कर दिया था इसलिए सोमवार सुबह 10 बजे मेडिकल कॉलेज में शरीर दान की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
यह भी पढ़ें: आतंकी अफजल गुरु की बरसी पर बड़े हमले का खतरा, कश्मीर में 2G Internet Service पर रोक
प्रियंवद, अमरीष सिंह दीप, संजीबा, अनीता मिश्रा, डॉ. सुरेश अवस्थी, हरभजन सिंह मेहरोत्रा, संध्या त्रिपाठी, सुरेश गुप्ता आदि साहित्यकार उनके घर पहुंचे। गिरिराज किशोर हिन्दी के प्रसिद्ध उपन्यासकार होने के साथ-साथ एक सशक्त कथाकार, नाटककार और आलोचक थे। इनका उपन्यास ढाई घर अत्यन्त लोकप्रिय हुआ था। वर्ष 1991 में प्रकाशित इस कृति को 1992 में ही साहित्य अकादमी पुरस्कार (Sahitya Academy Award) से सम्मानित किया गया था। गिरिराज किशोर द्वारा लिखा गया पहला गिरमिटिया नामक उपन्यास महात्मा गांधी के अफ्रीका प्रवास पर आधारित था, जिसने इन्हें विशेष पहचान दिलाई। इनके सम-सामयिक विषयों पर विचारोत्तेजक निबंध विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से प्रकाशित होते रहे हैं।