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बड़ी खबरः #Himachal में थम सकते हैं निजी बसों के पहिए, कारण जानने को पढ़ें खबर
मात्र 40 फीसदी बसें सड़कों पर दौड़ रही हैं। 60 फीसदी बसों के ना चलने का कारण सवारियां ना होना तथा डीजल एवं अन्य चीजों में लगातार बढ़ रही महंगाई है।
किराया बढ़ोतरी के बाद अब निजी बस ऑपरेटरों ने Tax में मांगी अतिरिक्त छूट
प्रदेश के विभिन्न जिलों में विशेषकर सोलन जिला में हिमाचल पथ परिवहन निगम द्वारा निजी बसों से 5-10 मिनट के अंतराल में बसों का संचालन किया जा रहा है
Jai Ram के गृह जिला में बस अड्डा फीस वसूलने पर भड़के निजी बस ऑपरेटर
सरकार ने स्पेशल रोड टैक्स व टोकन टैक्स में रियायत देने के जो वादे किए थे वह भी पूरे नहीं किए जा रहा हैं। इससे तमाम ऑपरेटरों में गुस्सा है।
Bilaspur: निजी बस ऑपरेटरों का प्रदर्शन, प्रशासन को सौंपी बसों की चाबियां
बिलासपुर (Bilaspur) में निजी बस ऑपरेटरों ने नारेबाजी भी की। बस ऑपरेटरों का कहना है कि कोरोना (Corona) काल के दौरान लंबे अरसे से बसें खड़ी हैं।
Kangra निजी बस ऑपरेटर चाहते हैं किराया बढ़ोतरी, कितना बढ़े- सरकार पर छोड़ा
करीब पांच माह से अधिकतर बसें रूट पर नहीं चली हैं, जिस वजह से वहां सवारियों को अभी विश्वास नहीं है कि बसें पूर्व की तरह फिर से अपनी सेवाएं देंगी।
तो क्या Himachal में फिर थम जाएंगे निजी बसों के पहिए, जानने के लिए पढ़ें खबर
डीजल की कीमतों में पिछले कुछ अरसे से लगातार वृद्धि हुई है, जिससे बोझ और बढ़ गया है।
तीन महीनों में निजी बस ऑपेरटर को काफी नुकसान हुआ है।
Corona काल में वेतन ना मिलने से भड़के निजी बस चालक-परिचालक, सौंपा ज्ञापन
इस संकट की घड़ी में कोई ऑपरेटर मदद के लिए आगे नहीं आया है। बस ऑपरेटर ने कोविड फंड में राशि दी है, लेकिन अपने कर्मियों को वेतन नहीं दिया।
Cabinet की आहट सुनते ही निजी बस ऑपरेटर संघ ने परिवहन मंत्री से की मुलाकात, जाने क्या हैं कारण
बस ऑपरेटर की मांग है कि एसआरटी और टोकन टैक्स 31 मार्च, 2021 तक माफ करने के अलावा अन्य राज्यों की तर्ज पर किराए में वृद्धि करने सहित 6 सूत्रीय मांगे रखी गए हैं।
निजी बस ऑपरेटरों और मंदिरों को लेकर Jai Ram ने कही बड़ी बात- जानिए
होटल व टूरिज्म व्यवसाय को लेकर हुए नुकसान पर पूछे सवाल के जवाब में सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि जो भी कदम उठाने के होंगे उठाए जाएंगे।
Big Breaking: निजी बसों के Driver-Conductor का कांगड़ा अड्डे पर धरना,नहीं चलाएंगे बसें
चालकों-परिचालकों का कहना है कि यहां तक कि उन्हें मॉस्क (Mask) तक घर से लाने को कहा है। ऐसे में वे बसें कैसे चला सकते हैं इसके अलावा उनकी इंश्योरेंस तक नहीं की जाती है