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मुंबई हमले (Mumbai) के मास्टरमाइंड और लश्कर-ए-तैयबा के सरगना जकीउर रहमान लखवी (Zakiur Rehman Lakhv) को अदालत ने 15 साल की सज़ा सुनाई है। लखवी को यह सज़ा टेरर फंडिंग के मामले में पाकिस्तान (Pakistan) की लाहौर की आतंकवाद निरोधक अदालत (Court) ने सुनाई है। रहमान लखवी घोषित वैश्विक आतंकवादी (Terrorist) है। रहमान लखवी ही 2008 के मुंबई अटैक का मास्टर माइंड (Master Mind) है। लखवी पर आरोप था कि उसने एक दवाखाना के लिए इक्ट्ठे किए गए रुपयों का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए किया था। अब इसी मामले में पाकिस्तान के लाहौर की आतंकवाद निरोधक अदालत ने रहमान लखवी को 15 साल की सज़ा सुनाई है।
भारत ने भी लखवी को 2019 में आतंकवादी घोषित किया था। लखवी को यूएपीए (Unlawful ActivitiesPrevention Act) के तहत आतंकवादी घोषित किया गया था। मुंबई हमले में छह अमरीकी नागरिकों समेत 166 लोगों की मौत हुई थी। पाकिस्तान की अदालत ने तीन अलग-अलग मामलों में लखवी को पांच-पांच साल की कैद की सजा सुनाई है। खास बात यह है कि लखवी को हाल ही में दो जनवरी को ही गिरफ्तार किया गया था।
यहां बता दें कि हाल ही में फाइनांशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की बैठक का आयोजन होना है। यह संस्था नज़र रखती है कि किसी देश में पैसे का इस्तेमाल टेरर फंडिंग या मनी लॉन्ड्रिंग के लिए तो नहीं हो रहा एफएटीएफ ने पाकिस्तान को फ़रवरी 2021 तक ग्रे लिस्ट (Gray List) में शामलि किया है। ग्रे लिस्ट में उन देशों को शामिल किया जाता है जहां माना जाता है कि उनके देश में पैसा का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए हो रहा है। अब इस ग्रे लिस्ट से बाहर आने के लिए पाकिस्तान आतंकियों पर कार्रवाई का ढोंग करता रहता है। ग्रे लिस्ट में शामलि होने से देश को आर्थिक तौर पर कई तरह के नुकसान होते हैं।
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